:- कुछ लिखूं !
:- हां लिखो !
तुम बिलकुल घर जैसी हो
वापस तुम्हारे पास लौटने की तलब हमेशा बनी रहती है.!!-
आखिर में तुमने भी वही देखा ...
"मुस्कुराता हुआ चेहरा", जो पूरी 'कायनात' ने देखा...
वैसे मेरी पूरी 'कायनात' तुम ही तो हों 🥀-
वो बात करने को भी राज़ी नहीं है
"महादेव"
और मैं उसे हर रोज मांगता हूं
"आपसे"-
अगर जो कागज़ पर लिख दूं तारीफ़ तुम्हारी
मोहतरमा तो स्याही भी तेरे इश्क़ की गुलाम हो जाए .....✍️-
किस्मत... हमसफ़र...
किस्मत ने तुम्हें मेरा हमसफ़र तो नहीं लिखा पर मैं खुशनसीब हूं कि किस्मत ने तुम्हें मेरी मोहब्बत लिखा...🥀
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मन्नतों के सारे धागे खोल आया हूं,
जब तुम ही न मिली तो ज़माना मिल जाए क्या फ़र्क
पड़ता है..!!
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तारीफ़ लिखने बैठा था उनके मखमली हुस्न की...
कलम ही रुक गयी उनकी कमर की सिलवटें देखकर.!!-
धागा ख़त्म हो गया मन्नतों में तुझे मांगकर...
धड़कने बांध कर आया हूं ... अबकी बार तेरे नाम पर
🥀🥀-