Hrishikesh Mule  
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सोचो, हम ही बताएँगे तो आप कैसे जानोंगे?
Joined 23 November 2017


सोचो, हम ही बताएँगे तो आप कैसे जानोंगे?
Joined 23 November 2017
20 JUL 2021 AT 14:46

करिती एकादशीचे सोंग
मिष्टान्न केव्हडे ते सांग
न निघे एकदा पांडुरंग
संवत्सरी मुखातून।।१।।
उपवासाचे धरणे
सदैव उपवासी खाणे
नाम सोडुनी सकल ग्रहणे
करिती जन।।२।।
ज्यासी भूक नामाची
तयासी भीती न भस्म्याची
अन्न हे गरज शरीराची
तो मानी।।३।।
बक्कळ खाती बापुडे
होती रोगाचे पुडे
शेकती एकादशीचे मढे
द्वादशीला।।४।।
अति खाता होई अपचन
म्हणे करंटी ही हगवण
एकादशी होती म्हणून
खाणे आले।।५।।
अंती फुटे खापर
विठ्ठलाच्या बोडख्यावर
उगीच हे सोपस्कार
एकादशी पायीं।।६।।
ऐसी होतसे गंम्मत
खाण्यात अवघे चित्त
हरिनाम निघे त्वरित
द्वादशीला।।७।।

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22 MAY 2020 AT 13:27

हां, जितना कोई नही जानता,उतना वो जानती है।
वो मेरी माँ है, मुझे बखूबी पहचानती है।।

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21 APR 2020 AT 20:56

युद्ध की हुई है पुकार
लहर लहर करेगी अब प्रचण्ड हुंकार।।
परमेश्वर निर्मित सुरक्षा दल की
यह है रण ललकार।।१।।
दूषित हुआ स्वर हेरम्ब की हंसध्वनि का
प्रखर नाद जब हुआ शंखध्वनि का।।
ना आएगा काल भी बचाने
अब बजेगा डमरू महाकाल को उठाने।।२।।
समय के रहते करो क्षमा याचना
अन्यथा देवदूत भी ना बचापाएं यह यातना।।
जल उठेगा संसार उजड़ जाएगा सब
कालरूपी आरहा साधु ना रोक पाओगे अब।।३।।

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21 APR 2020 AT 20:26

साधु अखण्ड़ कर्म है
साधु है निरपेक्ष भाव।
धर्म की रक्षा साधु करे
वह ना कोई व्यक्ति है केवल एक स्वभाव।।१।।
साधु मानव से दूर रहे
रखे मुक्ति की चाह।
साधुओं के संग जीवन बने
दिखलाए धर्म की राह।।२।।
साधु ना अब सुरक्षित रहा
ऐसा बना ये देश।
साधुओं की हत्या कर
मानव बना है मेष।।३।।
भस्म लगाएं धुनी रमाए
निजकार्यों में मग्न रहा ये।
छेड़ दिए जब इन्हिको तुम
देखलो अब,
कैसा दिखे साधु खड्ग उठाएं।।४।।
हर युग इसका साक्षी है
जब हुआँ साधुओं का अपमान।
जलथल अंबर ठिठुऱ उठा
करने चला साधु सम्मान।।५।।

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21 FEB 2020 AT 13:57

कृपासमुद्रा जटाधरा
त्रिनेत्रा त्रिशूलधरा।
नंदीवाहना विष्णुप्रिया
अघनाशना गिरीप्रिया।
आदीगुरवे विश्वंभरा
आदीपुरुषा विश्वेश्वरा।
स्मशान विहारा शांतरूपा
जगतव्यापका पूर्णरूपा।
पिंड ब्रह्मांड व्यापका
यज्ञमया वृषांका।
दिगंबरा अनेकरूपा
शुद्धविग्रहा नादरूपा।
अंगेविराजत भुजंगा
जटेचंद्रसर्पादि वसे दिव्यगंगा।

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8 JAN 2020 AT 21:03

ये मौसम भी बड़ा बावला है,
सोचने पे मुझे मजबूर कर दिया
वाकई ये मेरा शहर है या लोनावला है?

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26 NOV 2019 AT 18:59

क्या बात कहें उस माहरुख चेहरे की,
वैसा कुछ आजतलक देखा ही नहीं
चाँद भी क्या ठंडक दिलाएं इस दिल को
क्या देखा है किसीने ऐसा मेहजबीन कही?

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24 NOV 2019 AT 0:12

नजर नजर का फर्क होता है ग़ालिब
उनकी नजरों में हम बेखबर होते है,
और हमारी नजर में वो बेसब्र होते है

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28 SEP 2019 AT 21:14

हमारे नफ़्स पर कुछ इस कदर उनका नाफ़िज़ हुआ
तबस्सुम के उनका तसव्वुर भी नही होता
उनकी जरीफ जुल्फों ने ऐसा जरर किया इस दिल पर के,
कल तक तो वफादार था ये दिल आज क्यों न जाने काफ़िर हुआ।

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28 SEP 2019 AT 19:09

वो आए और और कुछ नज़्म कह गए।
जब वापिस निकले तो हमारा दिल ले गए।।

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