हज़ार गम है खुलासा कौन करे!
मुस्कुरा देता हु, तमाशा कौन करे!
😁😁-
खुद से नफ़रत हो जाएगी तुम्हे !
अगर मैने तुमसे तुम्हारे लहजे मे बात कर दी
😅😅
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कुछ इस तरह वो खुलेआम जुर्म कर जाती है !
पहले नज़रे मिलाती है ,
फिर नज़रे चुरा कर भाग जाती है!-
कदम अब लड़खड़ा उठे है ,
यही रुक जाऊ क्या ?
ये बेचैनियां मुझे खा जाएगी,
मैं यही कहि छुप जाऊं क्या ?-
वफ़ा-E-नगमे में क्या लिखूं कोई बताओगी क्या ?
तसव्वुर नही, हक़ीक़त में गलती किसकी थी बताओगी क्या?
अब तो एक अरसा हो गया है दिल दुखे !!
एक बार फिर से कोई दिल लगाओगी क्या?-
ये जो दीवाने से 2-4 नज़र आते है!
इनमे कुछ साहिब असरार नज़र आते है
मेरी मेहफिल का लाज़ रखते है सो जाते है!
वरना ये लोग तो बेदार नज़र आते है!
मेरे दामन में बिछे कांटे है,
आप रो फूलो के खरीदार नज़र आते है,-
चांदनी रात याद आती है,
वो मुलाक़ात याद आती है..
देख कर इन घनेरी ज़ुल्फो को,
मस्त बरसात नज़र आते है!
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रात उनको भी हुवा यूँ महसूस
जैसे ये रात फिर नही होगी!
एक नज़र मुड़ के देखने वाले
क्या ये खैरात फिर नही होगी?.-
आज की बात फिर नही होगी,
ऐसी मुलाक़ात फिर नही होगी,
ऐसे बादल तो आएंगे हर रोज़!
पर ऐसी बरसात हर रोज़ नही होगी-