hridyansh raj tripathi   (हृदयॉ‍ंश राज त्रिपाठी)
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Singer , guitarist , lyricist , traveller
Joined 20 January 2018


Singer , guitarist , lyricist , traveller
Joined 20 January 2018
16 MAY 2023 AT 11:22

इश्क़ नही मोहब्बत करनी है
तेरे साथ हर जंग लड़नी है,
किताबें तो बहुत छोटी चीज़ है
उम्र का वादा कर
मिल कर तेरे साथ पूरी पोथी लिखनी है।
बहुत कम फर्क है मोहब्बत और इश्क़ का
इतनी से यह बात कही है,
गर हो सूरत से और दिल लगे तो इश्क़
और हो सीरत से तो मोहब्बत कही है।
रोक ना पाया खुद को मजनू भी
गहरी ऐसी उसने ये बात कही है,
वे बुलेया जित्थे दिल अड़ जावे
फिर की गोरी की काली कही है।
मुरीद तो ज़माना है मोहब्बत का लेकिन
हुई मुकम्मल कितनो की ये बात नई है,
जाने अंजाने कर ही बैठते है तमाम लोग
फिर भी मुकम्मल चंद की ही जिंदगी में हुई है।

हृदय‌ॉंश राज त्रिपाठी

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30 MAY 2020 AT 10:08

पेशे से नहीं लेकिन
शिक्षा से तो पत्रकार हूं।
दयात्वो से नहीं लेकिन
कर्तव्यो से तो पत्रकार हूं।
चाहे हो कर्म भूमि पर
या अपनी अपनी जन्म भूमि पर,
अचार विचार से स्वतंत्र रहूंगा
क्योंकि कर्म से मै पत्रकार हूं।

पत्रकारिता दिवस

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17 JUN 2019 AT 22:25

एक ऐसी उड़ान कि चाह है ज़िन्दगी में
जिसमे उड़ान नभ के पार हो,
हौसला हो बुलंद अडिग चट्टान की तरह
मगर आत्म आधार धरातल पर हो।

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6 JUN 2019 AT 17:02

अपनी काबिलियत पे इतना गुमान था कि
आसमां में उड़ने के ख्वाब देखा करते थे
लेकिन भीड़ के एक धक्के ने हमें और हमारे
ख्वाबों को ज़मीं पे ला छोड़ा।

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28 MAY 2019 AT 9:58

ये कैसे मोड़ पे आ खड़ी हुई ज़िन्दगी ए रब,
खुद की उलझनों का हाल मिल नहीं रहा
और लोग अपनी समस्याएं लेकर हमारे पास आ रहे है।

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27 MAY 2019 AT 23:06

एक अजब रंज है इस मन में,
जो दिखा ना सके कुछ ऐसे रंग है इस मन में,
कुपित है ये हृदय अपनी ही अपेक्षाओं से
हाल - ए - बयान कर पाता तो बहुत आसानी होती इस गमे- सार को हलक से नीचे पहुंचने में,


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30 SEP 2018 AT 18:11

पापा ने मुझसे एक दिन पूछा कि हर बच्चा कामयाबी के वक़्त अपनी मॉ को ही क्यू याद करता है , अपने पिता का ज़िक्र करने वाले इतने कम क्यों , क्या पिता बच्चे को कामयाब बनाने में हिस्सेदार नहीं होता?

(ये जवाब मै देना चाहता था पर बोल ना पाया )
पिता उस माटी के समान है जिसमें एक पौधा उगता है , और मॉ वो पौधा है जिसपे फल उगता है , वो फल वो बच्चे है । उस बच्चे को सिर्फ पौधे के बारे पता होता है कि वो उसका पालन पोषण कर रहा है पर उस माटी की खूबी से वो अनभिज्ञ रहता है जिसकी वजह से वो खड़ा है ।

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21 APR 2018 AT 18:21

क्या गलती थी उस मासूम की,
जो सज़ा उसने पाई है
देख मंज़र- ए- क़यामत
आंख सबकी भर आईं है

कुछ हुए खौफज़दा
तो कुछ ने भरा दम,
ए माटी के पुतले
ये भूल गया तू
इंसान है हम।

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23 JAN 2018 AT 17:27

Idea is a light of innovation in the dark of legacy.

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23 JAN 2018 AT 17:22

Life without love is like tea without sugar

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