रिश्ते, परिवार...
"हनी निगम"
"मेरे अनुभव"-
Honey Nigam
(बेजुबां ख्वाइशें...)
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असां नही एहसासों को शब्दों में पिरोना,
ये वो मोती है जो अक्सर
बिखरने के बाद ही में रोशन होत... read more
ये वो मोती है जो अक्सर
बिखरने के बाद ही में रोशन होत... read more
Joined 14 February 2018
11 APR AT 8:01
तुम वो "सच" तो सुनना चाहते हो,जो तुम्हे अच्छा लगता हो, तुम्हारी मन मस्तिष्क को सुकून देता हो, लेकिन "वास्तविकता" को ना सुनना चाहते हो, ना ही समझना चाहते हो और ना ही स्वीकारना चाहते हो...
"हनी निगम"
"मेरे अनुभव"-
9 APR AT 10:39
मान,सम्मान,प्रेम अलग बात है,लेकिन बात जब मेरे विचारों की, उसूलों की आएगी तब हम अडिग,अटल है, क्योंकि हमने धूप में अपने आपको जलाया है, रातों में जागकर दुनियादारी को समझा है, तब जाकर, आज जो हम है, वैसे बने है...
"हनी निगम"
"मेरे अनुभव"-
9 APR AT 10:33
सामाजिक रूप से पहले ये तय करना होगा कि गलत क्या है, अन्याय क्या है...
"हनी निगम"
"मेरे अनुभव"-
7 APR AT 8:33
इसलिए सम्मान नहीं मिलेगा कि आप स्त्री हो, क्योंकि इतिहास में शूर्पणखा, मंथरा, होलिका जैसी स्त्रियां भी रही है, जिन्होंने घर बर्बाद किया है, सम्मान और प्रेम यूं ही नहीं मिल जाते...
"हनी निगम"
"मेरे अनुभव"-