माना मैं अपनी अनजान मंज़िल की तलाश में निकल चुका हूँ माँ,
पर तू ये मत समझना, मैं तुझे भूल चुका हूँ माँ !!
जानता हूँ मैंने आज के दिन भी तुझे एक कॉल तक नहीं किया,
पर जब मैं तेरी आवाज़ सुनूंगा तो खुद से नज़रें नहीं मिला पाऊंगा माँ,
जब तू बड़े प्यार से पूछेगी, कैसा है बेटा? तो मैं तुझसे झूठ नहीं बोल पाऊंगा माँ !!
रातों को सहम-सहम कर उठ जाता हूँ !
तब तेरे आँचल के सुकूँ को मिस करता हूँ !!
माँ तू तो सब जानती है ना, रातों को मेरे ज़हन में उठते सवाल मुझे सोने नहीं देते हैं,
दिल के अश्क़ मेरे आँखों से बहते हैं, हर अश्क़ मुझसे एक ही सवाल करते हैं !!
मैं बहोत जल्द तेरे पास लौटूँगा माँ,
बस एक बार उसको ढूंढ लूँ माँ !!
बेशक़ मैं तुझसे दूर हूँ माँ, पर मैं तुझसे कहाँ जुदा हूँ, मैं तेरा ही अक्स हूँ माँ,
पर मेरा जो अक्स है, मेरे रूह का जो हिस्सा है,
वो मुझसे जुदा है, वो मुझसे खफा है,
मुझे उसे ढूंढ़ना है माँ, मुझे उसे मनाना है माँ !!
चाहे जितना भी वक़्त लगे, परेशानियां आए, मैं हार नहीं मानूँगा माँ,
मैं बहोत जल्द वापस आऊँगा माँ, मैं वापस आऊंगा माँ !!
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