Home Town 🥀🥀   (🥀🥀Ruhi 🥀🥀)
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Joined 5 May 2020


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Joined 5 May 2020
31 MAY AT 18:35

कितनी ज़रखैज़ है नफ़रत के लिए दिल की ज़मीं
कही पत्थर कहीं मोती कोई दरमाँ ही नहीं
दुनियाँ मेरे मिजाज़ से थी मुख्तलिफ़ बहुत
इसलिए मेरा कोई कभी हुआ ही नहीं

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31 MAY AT 11:40

जिसके माथे पे शिकन आँखों में बसीरत नहीं होती
ऐसे इंसा से कुछ भी वजाहत नहीं होती

रखता है हमेशा जो दिल को कुशादा
चेहरे पढ़ने की उसको आदत नहीं होती

कौन करता है यहां तेरे बाद तेरे जैसा सुखन
ऐसा लफ्ज़ों से तो शायरों की मकाफ़त नहीं होती

क्या खूब निराली थी मुसाफ़त तेरे कूचे की
ऐसे रास्तों की कोई अलामात नहीं होती

ये मोहब्बत की कशिश भी तो नहीं शायद
इश्क़ की ऐसी भी तो हालत नहीं होती

भटक जाते हैं क्यों लोग प्यार की गलियों में
शिफ़ा उनके संभलने की कोई सूरत नहीं होती

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28 MAY AT 18:48

तराश रखे हैं कई ख़्वाब आँखों में पर उनकी ता'बीर नहीं मिलती
ढूंढा है बहुत मैने मुक़द्दर की लकीरें नहीं मिलती

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28 MAY AT 12:42

Happy birthday

To
Me

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25 MAY AT 22:18

इश्क़ की जम्बिल में मुद्दआ दिल का रख लिया
दिल की आरज़ू पूरी न हुई दिल पे पत्थर रख लिया

खुश्क पत्तों की तरह सब ख़्वाब बिखरते ही रहे
फिर ख़्यालो में तेरे क़ुर्बत को अपनी रख लिया

ज़माना भूल जाते हैं तेरी एक दीद की ख़ातिर शिफा
चेहरों के तमाम हुजूम में नक्श तेरा रख लिया

तेरे लफ्जों की महक से नींद भी रूठी रही
जागती आँखो में हर शब एक सपना रख लिया

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23 MAY AT 13:36

उनके अंदाज़ क़शफ़ और बहाना दिल का
कही हमको न ले डूबे वो निशाना दिल का

दिल ए नाशाद है बीमार सा दिल क्या कहिए
दो क़दम साथ चले पर दर्द न जाना दिल का

वो मोहब्बत भरी बातें वो तबस्सुम सी निगाहें
वो लबों पर हँसी वो गुदगुदाना दिल का

कौन आँखों में छुपे इंतिशार को पढ़ता होगा
शिफ़ा सुरमई शाम में लहलहाना दिल का

ख्वाहिशें लब पे मचलती हुई तितली की तरह
वो भंवरों का फूलों पे गुनगुनाना दिल का

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20 MAY AT 21:11

आरज़ू के सितारों से दमका हुआ
एक शख्स राहों से भटका हुआ

बस निगाहों में है एक तूफ़ाँ nअलग
बेबसी से वो अपनी था हारा हुआ

लोग फिरतेn हैं हाथों में सूरज लिए
वो ज़िंदगी के अंधेरे में भटका हुआ

ख़्वाब उसने सजाए थे लाखोंn मगर
वो जिम्मेदारी की ज़द में आया हुआ

उदास चेहरे की हँसी वो लबों पर लिए
शिफ़ा था आँखों में सैलाब आया हुआ

समझ लीजिए के हमको जिंदगी ने
बस यहां ज़िंदा ही दफनाया हुआ

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17 MAY AT 21:08

कभी ख़्यालों की खिड़की से झांक कर तो देखो
नज़र आएगी मंज़िल आगे बढ़ कर तो देखो
कभी अकेले सफ़र तुमको करना होगा
हौसला खुद में बना कर तो देखो
क़दम चूम लेगी ये दुनियाँ तुम्हारे
कामयाबी का परचम लहरा कर तो देखो
कभी काली घटाओ में खुशी का चाँद निकलेगा
शिफ़ा चाँदनी अपने दिल की जगा कर तो देखो

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15 MAY AT 23:29

माज़ी के गहरे समंदर में डूब जाना
क्या इसको ग़ुरूब कहते हैं
कभी किसी के ख्यालों में गुम हो जाना
क्या इसको महबूब कहते हैं

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15 MAY AT 11:28

हवा कह रही है के दरमाँ कहाँ है
जो मु'अत्तर करे दिल वो महमां कहाँ है
लगाए हुए हम सदाए कहां तक
तेरे अहदो वादे का सामाँ कहाँ है

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