यूहन्ना 4:1-5
[1]फिर जब प्रभु को मालूम हुआ
कि फरीसियों ने सुना है
कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता
और उन्हें बपतिस्मा देता है-
[2]यद्यपि यीशु आप नहीं वरन उसके चेले बपतिस्मा देते थे-
[3]तब वह यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला,
[4]और उसको सामरिया से होकर जाना अवश्य था।
[5] इसलिये वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया,
जो उस भूमि के पास है
जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था;-
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यूहन्ना 3:34-36
[34]क्योंकि जिसे परमेश्वर ने भेजा है,
वह परमेश्वर की बातें कहता है;
क्योंकि वह आत्मा नाप नापकर नहीं देता।
[35]पिता पुत्र से प्रेम रखता है,
और उसने सब वस्तुएँ उसके हाथ में दे दी हैं।
[36]जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है;
परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा,
परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है।"-
यूहन्ना 3:31-33
[31]"जो ऊपर से आता है वह सर्वोत्तम है;
जो पृथ्वी से आता है वह पृथ्वी का है,
और पृथ्वी की ही बातें कहता है:
जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है।
[32]जो कुछ उस ने देखा और सुना है,
उसी की गवाही देता है;
और कोई उस की गवाही ग्रहण नहीं करता।
[33]जिसने उसकी गवाही ग्रहण कर ली
उसने इस बात पर छाप दी कि परमेश्वर सच्चा है।-
यूहन्ना 3:27-30
[27]यूहन्ना ने उत्तर दिया,
"जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाय,
तब तक वह कुछ नहीं पा सकता।
[28]तुम तो आप ही मेरे गवाह हो कि मैं ने कहा,
'मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूँ।'
[29]जिसकी दुलहिन है, वही दूल्हा है:
परन्तु दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उसकी सुनता है,
दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है;
अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है।
[30]अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूँ ।-
यूहन्ना 3:22-26
[22]इसके बाद यीशु और उसके चेले यहूदिया देश में आए;
और वह वहाँ उन के साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा।
[23]यूहन्ना भी शालेम के निकट ऐनोन में बपतिस्मा देता था।
क्योंकि वहाँ बहुत जल था,
और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे -
[24] यूहन्ना उस समय तक जेलखाने में नहीं डाला गया था।
[25]वहाँ यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ शुद्धि के विषय में वाद-विवाद हुआ।
[26]और उन्होंने यूहन्ना के पास आकर उससे कहा,
"हे रब्बी, जो व्यक्ति यरदन के पार तेरे साथ था,
और जिसकी तू ने गवाही दी है ;
देख, वह बपतिस्मा देता है,
और सब उसके पास आते हैं। "-
यूहन्ना 3:20-21
परन्तु जो सत्य पर चलता है ,
वह ज्योति के निकट आता है,
ताकि उसके काम प्रगट हों,
कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं। "-
यूहन्ना 3:20-24
[20]क्योंकि जो कोई बुराई करता है,
वह ज्योति से बैर रखता है,
और ज्योति के निकट नहीं आता,
ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए।
[21]परन्तु जो सत्य पर चलता है ,
वह ज्योति के निकट आता है,
ताकि उसके काम प्रगट हों,
कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं। "-
यूहन्ना 3:16-19
[16]"क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया,
ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे,
वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।
[17]परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा
कि जगत पर दण्ड की आज्ञा दे,
परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।
[18]जो उस पर विश्वास करता है,
उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती,
परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता,
वह दोषी ठहर चुका;
इसलिये कि उसने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।
[19]और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है,
और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे।-
यूहन्ना 3:11-15
[11]मैं तुझ से सच सच कहता हूँ कि हम जो जानते हैं,
वह कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उस की गवाही देते हैं,
और तुम हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते।
[12]जब मैं ने तुम से पृथ्वी की बातें कहीं,
और तुम विश्वास नहीं करते,
तो यदि मैं तुम से स्वर्ग की बातें कहूँ,
तो फिर कैसे विश्वास करोगे?
[13] कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा,
अर्थात मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है।
[14]और जिस रीति से मूसा ने जंगल में साँप को ऊँचे पर चढ़ाया,
उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए ;
[15]ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए।-
यूहन्ना 3:8-10
[8]हवा जिधर चाहती है उधर चलती है
और तू उसका शब्द सुनता है,
परन्तु नहीं जानता कि वह कहाँ से आती और किधर को जाती है?
जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है। "
[9]नीकुदेमुस ने उसको उत्तर दिया ,
"ये बातें क्योंकर हो सकती हैं?"
[10]यह सुनकर यीशु ने उस से कहा ,
" तू इस्त्राएलियों का गुरू हो कर भी
क्या इन बातों को नहीं समझता?-