हमदर्द 🚶   (Ram Prakash PSC)
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Joined 2 January 2019


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13 FEB 2022 AT 21:12

अजनबी बन कर ही सही
आज ठहर जाओ।

कल जब देखना हमे
तो मुड़ कर चले जाना।

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12 FEB 2022 AT 12:23

चलो कहीं गुम हो जायें
ये जमाना दागों से भरा है।

अंधेरी गलियों में चलकर
जुगनू बन उड़ जायें।

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14 OCT 2021 AT 16:36

बचपन के सारे खूबसूरत पल
और चेहरे पर मासूमियत भरी हँसी
जिसे हम प्यार समझते थे,
हमारे बड़े होते होते
दोस्ती के नाम पर खत्म हो जाती है।

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3 SEP 2021 AT 14:48

कम दिखते हो,
कम मिलते हो,
क्या बात हो गई..
उखड़े उखड़े से क्यों रहते हो।

साथ हो तुम,
तो सारा जहाँ है।
फिर क्यूँ नही
इतनी सी बात समझते हो।

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19 AUG 2021 AT 13:02

बरसों से तारों को देखते रहे
अंधेरे में बैठ कर।
जुगनू आता तो तारों को देखने की
जरुरत नहीं पड़ती।

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2 AUG 2021 AT 4:18

एक दिन टूट कर मिल जाना मुझसे।

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3 JUL 2021 AT 13:27

तुम्हारे नाम का सुबह बन जाऊँ
तुम मेरे दिल की शाम प्रिये।
कब मिलेगा साथ तुम्हारा ?
हमारा मिलन है एक पहचान प्रिये।

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25 JUN 2021 AT 22:58

तुम मेरे गमों की दवा बन जाओ,
मैं तुम्हारे खुशियों की दुकान प्रिये !
❤️

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4 JUN 2021 AT 18:20

हाँ
कुछ कहना है..
ज़रा करीब आओ तो बताऊँ।
.
.
तुम्हें देखने की आदत सी हो गई है।।

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13 APR 2021 AT 18:00

हम अकेले हैं,
पर भले हैं।

अगर तुम साथ देते,
तो हम एक साथ होते।

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