हमारी डायरी 📜   (Ram..)
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Joined 16 January 2021


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हेलो हेलो माइक चेक..
बहुत दिनों बाद लॉगिन किया हूं पेज की रिच बची है कि खत्म हो गई..ये पोस्ट दिखे तो हाज़िरी लगा दीजिए सभी लोग..

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एक नौकरी भर की देरी है..फिर सब ठीक हो जाएगा सारे दुःख नष्ट हो जाएंगे..किसी के लिए जवाबदेह नहीं रहूंगा...खुद के ऊपर से प्रेशर खत्म हो जाएगा ! माता-पिता व दोस्तों से पैसे नहीं लेना होगा..खुद कमाने वाले इंसान की इज्जत हर जगह होती है, चाहे वो जितना कमाएं..!!

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इस संसार के दो कड़वे सच:-

1- स्त्री वफ़ा के लिए नहीं बनी!
2- स्त्री ये बात कभी नही मानेगी!

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वर्ष के तीन महीने समाप्त हो गए...सन् २००० के बाद जीवन तो जैसे मानों केवल बीता है...अवसाद और बढ़ती उम्र ने सबकुछ रोक दिया है...जीवन में कुछ भी विशेष नहीं रहा... सब कुछ रुक सा गया है...अब तो यह भी नहीं पता कहाँ गुम हूँ... जीवन एक काली कोठरी में बंद हो चुका है...यहाँ से निकलना बेहद मुश्किल है...मैं अब गर्त के आस-पास हूँ...मेरा कुछ नहीं हो सकता...!!🙂

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गांव के मर्द रोमांस, मूड़ अथवा फोरप्ले नहीं जानते... वो तो चारपाई पर आकर बीवी का साड़ी पेटिकोट उठाते हैं... ब्लाउज के बटन खोलते हैं... और 4 बूंद सरसों का तेल टोपे पर गिराकर लं' ड पूरा अंदर बिल्ली में डालकर जी भर के पेलते हैं... फिर जब निकलने वाला होता है तो अंदर निकाल देते हैं या पेटिकोट में पोछ देते हैं..!

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प्रेम का प्राथमिक बिंदु सम्भोग है...जो सम्भोग से घृणा करता है, वह कभी प्रेम कर ही नहीं सकता...!!

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मोहब्बत में शिद्दत और झटकों में ताकत हो तो औरत हमेशा मर्द की इज्जत करती है..!!

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फिर से शुरू हो गया शादियों का मौसम...ना जाने कितनो की मोहब्बत गैरों के पलंग पर Chuदेंगी..!!😬

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कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि मैं ठीक हो चुका हूँ, मेरा सारा अवसाद खत्म हो चुका हैं और मैं जीवन खुशी से जी रहा हूँ,लेकिन अगले ही पल मैं बेहद गम्भीर अवस्था में होता हूँ और गहरी सोच में चला जाता हूँ,फिर कब सुबह होती है और कब रात,मैं कुछ नही समझ पाता और अकेलेपन में रह जाता हूँ...

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कभी-कभी ऐसा प्रतीत होता है कि मैं ठीक हो चुका हूँ, मेरा सारा अवसाद खत्म हो चुका हैं और मैं जीवन खुशी से जी रहा हूँ,लेकिन अगले ही पल मैं बेहद गम्भीर अवस्था में होता हूँ और गहरी सोच में चला जाता हूँ,फिर कब सुबह होती है और कब रात,मैं कुछ नही समझ पाता और अकेलेपन में रह जाता हूँ...

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