ये सफर बेजान सा मुश्किल है
मन में बस एक अंजान सा कल है !
खुल के हँसे हुए तो जमाना हो गया
माँ न जाने वो बचपन कहा खो गया !
आज फिर से लड़खड़ा रहे है ये कदम
फिर भी न जाने क्यों मंज़िल की तरफ बढ़ रहे है हम !
साथ निभाने का वादा तो सब ने किया
फिर भी कहा उनके कदमों ने हमारा साथ दिया !
अब निकल पड़े तो फिर रुकना तो नहीं होगा
आज नहीं तो कल जो मन में वो तुम्हारा ही होगा ।
राह मुश्किल तो है पर फिर भी चलना तो होगा
चाहे लाख सितम दे ज़िन्दगी पर याद रखना
आज नहीं तो कल तेरा मेरा सामना ज़रूर होगा !
-SHIVAM
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