पिता हमेशा अपनी सन्तान के लिए संघर्ष करता है — पहले तन से, अपनी तकलीफें भूलकर केवल परिवार की जरूरतें पूरी करता है, उनके अच्छे भोजन, सुरक्षा, शिक्षा और हर सुख-सुविधा का ख्याल रखा रहता है।
फिर जैसे-जैसे बच्चे बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े होने लग जाते हैं, पिता का संघर्ष मन तक पहुंच जाता है — वह सोचता रहता है कि उनके बच्चे जीवन जीने की जद्दोजहद में कितने परिश्रम कर रहे हैं, उनके भविष्य, सुरक्षा और समृद्धि की कामना करता हुआ हर सांस के साथ उनके लिए ईश्वर से दुआ करता रहता है।
अंततः वही पिता एक दिन इस सन्तान-मोह में संसार से विदा लेता है।
Happy Father's day ❣️-
कभी-कभी अपनी खुशी, अपने अहम और अपनी चाहतों को पीछे छोड़कर आत्मसमर्पण करना पड़ता है।
हर रिश्ता खुशी नहीं देता, लेकिन अगर निभाना है… तो समर्पण ज़रूरी है।-
चलो... यूं ही अकेले एक चाय के साथ अपने जज्बातों को घूंट घूंट करके ख़त्म करते हैं !!
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कृष्ण का संबंध भय से नही प्रेम हैं लोग उनको डर से नहीं पूजते उनसे प्रेम करते हैं अपार प्रेम !!
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शांति चाइए तो अभावग्रस्त भी रहना होगा और ये जीवन जीने का सबसे सरलतम मार्ग हैं !
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संबंध और प्रेम से बनी दीवार इतनी मजबूत होती कि दैनिक जीवन संघर्ष उस दीवार को भेद नहीं सकते
प्रेम से संबंध और संबंध से प्रेम अनंत काल तक जीवित रहता हैं!!-
बहुत मासूम होते हैं वो मां बाप जो मेहनत करके बच्चों को शहर भेजते हैं और सोचते हैं की यहां गांव में उनके पास क्या रखा हैं शहर जायेगा बड़ा आदमी बनेगा अच्छा कमाएगा और खुश रहेगा वो खुद के बूडापे के बारे में भी नही सोच पाते हैं !
वो भूल जाते हैं की वो शहरी हवा जिसमें वो बड़े खुश होके भेज रहे हैं उन बच्चों को वो उन्हें अपने मां बाप के बुढापे में भी आने की और उन्हे ठीक संभालने की इजाजत भी नही देगी वो उस समय अपनी सारी इच्छाओं को मार कर सिर्फ इन्तजार करेंगे खुद के मरने का !!
उनको नही पता किस कदर उनके बच्चे उस शहरी हवा के अधीन और आदी हो जाएंगे, ऐसी विवशताएं पैदा होंगी की उनका लौट पाना असम्भव होगा !!
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प्रेम से पहले प्रतीक्षा ,
और प्रतीक्षा में उम्मीद प्रेम पाने की !-