काफ़ी वक़्त से आँसू आए नहीं,
आज आए तो आसानी से थमे नहीं...
दर्द होता रहा सीने में पर,
मुह से आवाज़ आई नहीं...
किसी ने बुलाया तो आँखों पर पर्दा डाला,
और बस मुस्कुराए हँसी दबाइ नहीं... — % &-
बड़ी ही सीधी-साधी बात है......
अब क्या ही बताऊँ,
मेरे क्या हालात हैं......-
ये मौत भी कहाँ आसान है यार...
ज़हर में तड़प होती है,
आंग में जलन होती है...
पानी में घुटन होती है,
और कूदने से हमारी फ़टती है...
रस्सी से निशान पड़ते हैं,
गोली के पैसे लगते हैं...
और कोई रास्ता दिखता नहीं,
इसीलिए थोड़ी देर के लिए इसको रद्द करते हैं...-
बद्दुआ भी फिजूल है,
जहाँ इश्क़ छिड़ा हो......
और उस शख्स से तो ज़हर भी दूर है,
जिसे मोहब्बत का कीड़ा लगा हो......-
कल के भरोसे आज का,
वक़्त ज़ाया ना करो......
जो कहना है, जो करना है आज करो,
मन में ख्वाहिशें ना रखो......-
सिर्फ़ एक इश्क़ से ज़िंदगी चलती,
तो क्या कहना था जनाब......
उस पर अगर दोस्ती में होता,
तो दिल होता आफताब......
फ़िर जो हो जाती शादी,
तो खुशी होती बेहिसाब......
और तब अगर होती एक परी प्यारी,
और होता एक प्यारा नवाब......
तो उस मंज़र का ज़िक्र तो उफ्फ,
बस इसीलिए आज इश्क़ एक फ़रेब है जनाब......-
कितनी खूबसूरत थी ज़िंदगी......
हाथों से गोलियाँ चलती थी,
आसमान में मछलियाँ तैरती थी...
हर रंग में मस्ती थी,
ज़िंदगी तब कितनी अच्छी थी...
आज परेशानियाँ ऐसी है कि,
लगता है ख़ुदकुशी ज़्यादा बेहतर थी...-