_Hitesh kadam   (हितेश कदम)
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Joined 25 June 2020


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11 MAY AT 19:37



मैंने रात को सुबह, और सुबह को दिन में बदलते देखा है,
अपनी माँ को रातों में भी मेरे लिए जागते देखा है।
रोज़ सोचता हूँ — किस मिट्टी की बनी है मेरी माँ,
हर दिन उसे नए रूपों में ढलते देखा है।

ज़माने को हर चीज़ की क़ीमत लगाते देखा है,
और माँ को आठों पहर बिना वेतन के घर संभालते देखा है।
इस भगवान के अनूठे सृजन के आगे निशब्द हूँ मैं...
और क्या कहूँ — माँ के आगे निशब्द हूँ मैं।

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11 MAY AT 19:09

माँ के आगे शून्य हूँ मैं

जब भी थक कर बैठा हूँ जीवन की राहों में,
माँ की ममता ने थामा है मुझे अपनी बाहों में।
जो भी पाया है मैंने इस दुनिया के रंगों में,
सब अधूरा लगता है माँ के अनगिनत संगों में।

मेरे शब्द, मेरी सांसें, मेरी पहचान है वो,
हर दर्द की दवा, हर मुस्कान है वो।
जिन्हें समझा था खुद को बड़ा, अब जान पाया हूँ मैं,
माँ के आगे सच में एक शून्य हूँ मैं।

हर सुबह की रौशनी माँ के आशीर्वाद से है,
हर रात की शांति उसकी दुआओं के साथ से है।
जो कुछ भी हूं, उसका हर आधार माँ है,
मेरे जीवन का सबसे प्यारा संसार माँ है।

जीवन के थपेड़ों से थक कर जब भी बैठ जाता हूँ,
माँ के प्रेम की कश्ती में फिर से किनारा पा जाता हूँ।
मेरा सुख का हर पल मेरी माँ से है,
मेरे दुःख का हर एक ग़म भी माँ से है।

मेरी अंधेरी दुनिया में चमकता हुआ सूरज माँ है,
उस ममता के सागर की बस एक बूँद हूँ मैं।
इसलिए... माँ के आगे शून्य हूँ मैं।

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1 JUN 2024 AT 18:19

देखे हैं हमने कुछ रंग
प्यार के इसे भी
जहाँ आदत बनने के
बाद
चाहत को भुला दिया
जाता है।

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1 JUN 2024 AT 18:08

इस दिल को संभाल कर
रखा करो जनाब
क्योंकि कुछ चेहरे साथ
निभाने का वादा तो जरूर
करते है,
पर उस वादे पर कभी
मुक्कमल नहीं कर पाते।

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27 MAY 2024 AT 10:56

जिस प्रकार एक रास्ते पर
पड़ा हुआ एक पत्थर
दूसरों के पैरों की ठोकर
खाते - खाते अपनी मंजिल
तक पहुंच ही जाता है
उसी प्रकार मनुष्य भी उसी
पत्थर के समान है, क्योंकि
वह जितनी ज्यादा ठोकर खायेगा
वो एक न एक दिन इस ज़िंदगी
में अपने मुकाम तक जरूर
पहुंचेगा ।

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26 MAY 2024 AT 22:11

उसकी चाहत में हम
इतने पागल हो गए
दिन के उजाले में भी
रातों के अंधेरे ढूंढने लगे गए
क्या पता था,ये प्यार इतना
असर दिखायेगा,
हम तो सर से लेकर पाव
तक उसके हो गए
हम तो सर से लेकर पाव
तक उसके हो गए।

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28 FEB 2024 AT 12:52

इतनी फिक्र क्यों करते हो
उस आने वाले कल की
जिसको आपने अभी तक
देखा भी नही है
क्योंकि आप तेज़ चलने की
फिक्र में आज के सफर के
हसीन नज़ारों को ही भूल
जाते हो।

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5 DEC 2023 AT 1:24

इस मतवाली ज़िंदगी में
क्योंकि आपके पास
प्रेम शब्द की एक ऐसी कुंजी
है
जो दुनिया के कठोर से कठोर
बंधन को खोल सकती है

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5 MAY 2023 AT 11:06

ज़िंदगी की सच्चाई यह है की
इसको जितना भीतर से समझोगे
ये उतनी ही सरल दिखेगी,
क्योकि यदि इसको बहरीय रूप से
देखोगे तो यह आपको कभी
समझ नहीं आएगी।

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5 MAR 2023 AT 16:27

कभी किसी की भावनाओं को
दिमाग से नहीं बल्कि
अपने दिल की धड़कनो
से मिला कर दिखा करो
क्योकि उन दोंनो के
संगम से जो धुन निकलेगी
उसमे प्यार की आवाज़
बहुत मधुर होगी। देख लेना।

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