Hitesh Awara  
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Joined 15 June 2023


Joined 15 June 2023
14 FEB AT 15:57

आज समस्या तेरे सामने
सवाल लेकर आया हूं
अभिलाषा उत्तर कि मन में
ख्याल लेकर आया हूं

ऐ अदाकार तेरा दृश्य
दिखलाने का अंदाज़ क्या है
वो दूर मरुस्थल में बता
मृगतृष्णा का राज़ क्या है

विकट स्थिति के सफर में
संकट ये भरपूर क्यों है
गर दिख रहा जो सामने
तो साहिल इतना दूर क्यों है

बूंद ओस कि ,माया स्वप्न कि
इस रहस्य के पर्दे को खोल
वो अदाकार खुदा मौन है
तू बोल आवारा कुछ तो बोल

। Hitesh Awara ।





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31 DEC 2023 AT 18:42

समय पर जो उपलब्ध नहीं
मानव को उस चीज कि कीमत
फिर उपलब्धता का खेल अनोखा
अब हुई खत्म उस चीज कि कीमत

खैर क्या ही मोल करें चीज़ों का
ना दुनिया को अनमोल कि कीमत
है पता जहॉं को ये परे सोच से
पर नहीं समय अनमोल कि कीमत

जिन्हें नहीं फिक्र अनमोल , मोल कि
क्या करें ख़ाक अन्दाज़ कि कीमत
कोई समझा दो उस आवारा को
है मुश्किल उसके अल्फाज़ कि कीमत



__Hitesh Awara .

















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26 DEC 2023 AT 22:46

तुझे देख मन मेरा मदहोश हुआ
लफ्ज़ ठैर ग‌ए और मैं खामोश हुआ
अमृत समझा तेरे अश्कों को आंशिकों ने
खैर मैंने पि लिया तो मैं बेहोंश हुआ ।।

चल तू मेरी रकीब मैं तेरा तोश हुआ
सोचा लाके दिल्लगी तुझसे से निर्दोष हुआ
मुझे मिली ये सज़ा तुझसे इश्क फरमाने कि
तुमसे लाई मोहब्बत का अफ़सोस हुआ ।।

शायद मैं ही पागल था ना मुझे होंश हुआ
तेरी इश्क ऐ चालाकी में संतोष हुआ
मृषा तेरी दिल्लगी का सलीका था तुझको
तेरी अदाओं से आवारा फरामोश हुआ ।।

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22 NOV 2023 AT 20:46

दिल मैं कैसे दे दूं तुम्हें
दिल को हुई है दिल की बीमारी ।।

दिल है मेरा मकान किराए का
उधार दिया है कई कई बारी ।।

किसी ने है तोड़ा किसी ने बनाया
मुसाफिरों की देखी मैंने होशियारी ।।

कोई रहा साथ लम्हे सालों तक
किसी ने चंद पलों की जिंदगी गुजारी ।।

कोई बनाकर आवारा सब देखता है
करके बयां न‌ई दुनिया निहारी ।।

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29 SEP 2023 AT 20:24

रंग है अनमोल मेरे भी‌
क्या बयां करूं इस बारे में ।।
कभी खुली किताब बनू
कभी खुफिया नजारे में ।।
कभी अंधेरा रास आए
कभी खुशी सुबह उजालो में ।।
कभी जिंदा जवाब बनू
कभी जिंदा सवालों में ।।
जब याद करे तो रोज करे
ना करे तो लम्हे सालों में ।।
कभी रंगीला मासूम बनू
कभी आवारगी की चालो में ।।

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7 AUG 2023 AT 20:34

देर रात ख्वाबों में फरिश्तों का
पैग़ाम मालूम पड़ता है ।।

दस्तक ए मौत जिदंगी में बनकर
गुमनाम मालूम पड़ता है ।।

मचल गया फिर मन मेरा जो
ग़ुलाम मालूम पड़ता है ।

मेरा क्या कसूर तेरी नज़रों में
सरेआम मालूम पड़ता है ।।

रंगीला सफर बड़ा सुहाना था तेरा
बाकी आवारा के बाद तू
बदनाम मालूम पड़ता है ।।

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13 JUL 2023 AT 14:15

लीखने को ,
की कुछ ऐसा लेख लिख दे
कि लेखक की लिखाई
स्वर्ण अक्षरों से लिखी जाए ।।

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20 JUN 2023 AT 22:35

।। समझ के बाहर है ।।
🤔🤔🤔🤨🤨🤨

बड़ी विचित्र है ये दुनिया
गोल समझ के बाहर है ।।
यहां सच्चे कड़वे झूठे मीठे
बोल समझ के बाहर है ।।
सुन्य का तो इस जहां में
मोल समझ के बाहर है ।।
मिलते मुखौटे अच्छे बुरे के
रोल समझ के बाहर है ।।
हितेश आवारा कि शराफत
अनमोल समझ के बाहर है ।।

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20 JUN 2023 AT 8:55

Life tell me
( l NEED YOU )
(OTHERWISE NOTHING HAPPENS)

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19 JUN 2023 AT 16:43

कहने को अल्फ़ाज़ नहीं ।
अगर अल्फ़ाज़ पैदा करू तो
मुख में मेरे आवाज़ नहीं
दिल के जख्म गहरे मगर
उनका भी कोई इलाज नहीं ।
है आते हुनर भी मुझको
पर दिखलाने का अंदाज नहीं ।
जो लड़े खुदा से तेरे वास्ते
आवारा इतना जाबाज नहीं ।

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