दुर्लभ कठिन परिश्रम त्याग,जब तुम पथ आसान चुनोगे,
फिर कैसे तुम इतिहास बुनोगे
बोलो!कैसे राम बनोगे?
मात-पिता के वचन ठुकराकर जब उनका तुम अपमान करोगे,
और फिर राजा बन खुद ही खुद का तुम गुणगान करोगे तो बोलो!कैसे राम बनोगे?
पग पग चलते जब खुद पर इतना तुम अभिमान करोगे
तो वैदेही, कौशल्या, शबरी, और कैकई का कैसे तुम सम्मान करोगे!
बोलो!कैसे राम बनोगे?
जब त्राहि-त्राहि मची हो प्रजा में,
और तुम आंखें मूंद अनजान बनोगे,
तो बोलो,कैसे राम बनोगे?
खुद में खोकर रह जाओगे, और सबका तुम मान हरोगे फिर कैसे, लक्ष्मण हनुमान मिलोगे?
बोलो! कैसे राम बनोगे?
भटक भटक कर तुम जल थल में क्या खुद को पहचान सकोगे?
बोलो कैसे राम बनोगे?
तो बोलो! कैसे इंसान बनोगे?
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