जन्मदिन सभी का विशेष होता है और इसे विशेष बनाते हैं आपलोगों की शुभकामनाएं...
मेरे जन्मदिन पर मुझे शुभकामनाएं प्रेषित करने वाले
आप सभी के शब्द मेरे जीवन में केवल औपचारिकता ही नही अपितु भावनाओं का उद्वेग है...
आशा करता हूँ कि स्नेह जीवन यात्रा में बना रहेगा 🙏
आप सभी स्नेही जनों के अपार स्नेहाशीष और मंगलकामना से अभीभूत हूँ🙏
आप सभी का अंतर्मन से कोटि-कोटि धन्यवाद 🤗❤️-
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बेबाक...बेख़ौफ़.... बेफिक्र....!!
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खाने में मलाईद... read more
एक चीज मैंने खुद में बेमिसाल देखी है
सफर मेरे पगडंडियों से शुरू...
और ख्वाहिशो की मंजिल आलीशान देखी है..!!
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गोद में अपनी जब तुमको पहली बार लिया था...
क्या होता है मामा ये पहली दफ़ा महसूस किया था
आज के दिन ही मैंने ये प्यारा सा एहसास जिया था....
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शुभकामनाओं के रूप में इतने सारे मैसेजेज़, फोन-कॉल्स, स्नेह, अपनापन और आपलोगों का प्यार...
जितना भी शुक्रिया कहूं,कम होगा...
बस जीवन के सफ़र में यूं ही साथ बना रहें ताकि
यात्रा को खूबसूरत होने की वज़ह मिलती रहे...
आप सभी का शुक्रिया❤️-
मुद्दत हुई...कोई फ़ोटो नही ली हमने...!!
एक अरसा हुआ...खुद को अच्छे नही लगे हम...!!-
हे अगरचे शहर में अपनी शनासाई बहुत....
फिर भी रहता है हमें एहसास-ए-तन्हाई बहुत !
~ कलीम उस्मानी ~
(अगरचे = हालाँकि,यद्यपि / शनासाई = जान-पहचान)-
जरा पीछे मुड़कर देखा इस साल में...
थोड़ी खुशियां थी फिर रोना भी आया बाद में...
कुछ नए लोग मिले, कुछ छूट गए,
किसी से रिश्ते जुड़े,किसी से टूट गए।
कुछ लोग है जो मुझे पता है सालों साल तक साथ रहेंगे,
बाकी कुछ ऐसे भी हो गए जो इस बार न्यू ईयर तक विस नहीं किये..!!!
कुछ नया सिखा, कुछ पुराना भुला दिया,
कुछ प्लान्स कामयाब हुए कुछ को अगले साल पे टाल दिया।
पर कितना कुछ देखा ना इस साल में हमने,
लॉकडाउन देखा,कितनो को हवा के लिए तरपते देखा,
वैक्सीन के स्लॉट बुक करने में दिन रात गई..
हमने कैसे सबकुछ बदलते देखा..!!!
कुछ नए दोस्त भी बने अपने,
तो कुछ लोग को बेमन से अलविदा कहना पड़ा।
पर जो भी था सब ठीक था,
अब अगला साल और बेहतर होगा।
शुक्रिया उनका जिन्होंने हाथ पकड़े रखा क्योंकि,आगे तो और लम्बा सफ़र होगा।-
ये जो ख़ामोश सा इक आदमी है ,
बड़ा शैतान सा बच्चा था पहले....!!
~ विवेक बिजनौरी
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फिलहाल ज़िन्दगी के उस मोड़ पर हूँ...
जहाँ पहुँचने के लिए गुज़रे हुए हर रास्ते का महत्व समझ आने लगा है मुझे।
इस सफर में इतना दूर हो गए 'हम' कि मुझे ठीक से याद भी नही कब छूटा था हाथ तुम्हारा..
मगर अब समझ आता है तुम्हारा हाथ का मेरे हाथ में होना कितना मायने रखता है।
ऐसा नही है कि तुम साथ होते तो ज़िन्दगी में कोई परेशानी नही होती
लेकिन इतना है कि तुम्हारे होने से उदासी नही होती,हताशा नही होता..
पता नही क्यों तुम्हारे मात्र होने से मेरी उदासी या हताशा इतना क्यों डरती है कि आसपास भी नही होती है।
तुम थे तो हम थे, वहाँ मैं नही था। अब सिर्फ मैं हूँ, तुम हो लेकिन हम नही हैं
शायद हमसे डरती हो उदासी, मुझसे या तुमसे नही।
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मुसाफिर बनता फिरता हूँ, मंजिल का कोई मोह नही...।
ये पथ ही मेरा प्रारम्भ है, ये पथ ही मेरा अंत भी...।।।-