ମୃତ୍ୟୁ...?
ମୃତ୍ୟୁର ଚାରି ପାଶେ ବୁଲୁଛି ମଣିଷ
ଛୁଇଁଦେଲେ ମରିଯିବ
ସବୁ ଖେଳ ଶେଷ...!!!-
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जीना है जीने केलिए
मरते क्यों हो...
मरना है तो एक बार
फिर, डरते क्यों हो...?-
इतना भी कमजोर नही
तेरी याद सताए मुझे...
बस थोड़ा दोस्ती करनी थी
तू तो घमंडी निकली...!!!-
मिट्टी की खुशबू...
बहुत कम लोगों को पता है...!
किसीको नौकरी की
तो किसीको बढ़ोतरी की...?
मिट्टी की खुशबू...
बहुत कम लोगों को पता है...!
किसको पैसे की
तो किसीको ऐसों की...?
पर, मिट्टी की खुशबू...
बहुत कम लोगों को पता है...!
किसको व्यापार की
तो किसीको कारोबार की...?
पर, मिट्टी की खुशबू...
बहुत कम लोगों को पता है...!
किसीको गद्दी की
तो किसीको अपनी जीत की...?
पर, मिट्टी की खुशबू...
बहुत कम लोगों को पता है...!
खुशबू है खून, उन जवानों का
खुशबू है पसीना, उन किसानों का
तुम क्या जानो क्या है खुशबू
इस मिट्टी का...
जो जानता है वोही असल में है...
हिन्दुस्तानी...
बेटा इस वतन का...।
जय हिन्द...-
ଆକାଶକୁ ଚାହିଁ ବସି ମୁଁ ରହିଛି
ସତେ କି ପଡ଼ିବୁ ଖସି
ତୋ ଥଣ୍ଡା ଛାଇରେ ମୁଣ୍ଡ ଗୁଞ୍ଜି ଦେଇ
ଗପ ତୋ ଶୁଣନ୍ତି ବସି...!
ଜହ୍ନ ପରି ଛାଇ ଶୀତଳ କିରଣ
ଅନ୍ଧାରେ ଭରି ଆଲୋକ
ତୋ କେସ ଲହରୀ ସାଥିରେ ପହଁରି
ମେଣ୍ଟି ଯିବ ସବୁ ଦୁଃଖ...!-
तुम आग हो...!
पानी से डरो मत
इस पानी से, ठंडक
तुम्हे भी मिलेगा...?-
किसको क्या समझूं...?
कभी रात को दिन
या फिर दिन को रात
एक उसकी मुस्कुराहट
और कभी थोड़ी ही बात...!-
मैने सोया नहीं...
जब से देखा तुझे...!
अब तो नींद भी दीवाना लगता है...?-
कोई हंसा नहीं, या
में हंसा न पाया उसे
गलती मेरी ही है
जो इतना हंसता हूं में...-
में रोता नहीं,
हंसने की आदत है मुझे...
परवाना जलता मगर
आग से डरता नहीं...!
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