किसी की जिंदगी में बहुत जल्दी आ कर भी देर हो सबका कोई ना कोई अतीत है या किसी को पाने की ख्वाहिश हर उदास बेचारा नहीं हो सकता कोई भी सिर्फ हमारा नहीं हो सकता
ज़िन्दगी क्युँ रूठी तु मुझसे सवाल ये हर बार करू ?? सपनों की इस नगरी में भी मैं अपनों से प्यार करू ! शिकवे नहीं अब औरो से क्या करू गिले मैं गैरो से अब मंज़िल खोजूं मैं दिन रात चाहे जख्म लगे हो पैरों पे उम्र भले ही छोटी मेरी तजुर्बे ने बहुत कुछ सिखाया है गैरो की इस बस्ती में कुछ अपनों ने भी बहुत रुलाया है