बस तुम यूं ही धड़कते रहो मुझमें
जब से तुम्हें देखा है
मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया है-
And keep writing to feel alive
चलो तुम मंदिर जला दो, हम मस्जिद गिरा देते हैं
वैसे भी अब ख़ुदा नहीं रहता वहां पर
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तेरी बांसुरी के गीत पर कुछ यू झूमना चाहता हूं
हर दर्द मिटाना चाहता हूं हर गम भुलाना चाहता हूं-
आज 'मैं' 'तुम' होना चाहता हूं
बारिश की बूंद बनना चाहता हूं
छू कर तेरे गालों को गुजरना चाहता हूं
सर्दी की वह धूप होना चाहता हूं
तेरे स्वेटर को छू लेना चाहता हूं
सांझ की हवा बनना चाहता हूं
तेरे बालों को लहराना चाहता हूं
आज फिर 'मैं' 'तुम' होना चाहता हूं-
उस पल मेरे साथ तुम्हें ठहरना था
उन बारिश की बूंदों में भीगना था
उन सर्द हवाओं में ठिठुरना था
अलाव की गर्माहट में सिकुड़ना था
तुम्हें अनजाने डर ने रोका होगा
फिर किसी बारिश में खुलकर भीगेंगे
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दरारों से कितना झांक पाओगे?
दर्द ए दिल को कितना समझ पाओगे?
कुछ पल बिताने होंगे साथ मेरे
तभी रुह तक उतर पाओगे
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कलम ने दोबारा लिखना शुरू कर दिया है
लगता है फिर किसी ने दिल में घरौंदा बनाया है
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दिमाग की जगह दिल बोलने लगा है
हां! इस दिल में अब कोई रहने लगा है-