Himanshu Yadav   (Kush)
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Learning medicine to save life
And keep writing to feel alive
Joined 16 July 2019


Learning medicine to save life
And keep writing to feel alive
Joined 16 July 2019
1 MAR 2020 AT 22:10

बस तुम यूं ही धड़कते रहो मुझमें
जब से तुम्हें देखा है
मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया है

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1 MAR 2020 AT 2:39

तुम एक दरिया हो और मैं एक नदी
तुम से मिलकर 'मैं' 'मैं' नहीं रहा

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28 FEB 2020 AT 13:36

चलो तुम मंदिर जला दो, हम मस्जिद गिरा देते हैं
वैसे भी अब ख़ुदा नहीं रहता वहां पर

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26 FEB 2020 AT 15:04

तेरी बांसुरी के गीत पर कुछ यू झूमना चाहता हूं
हर दर्द मिटाना चाहता हूं हर गम भुलाना चाहता हूं

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26 FEB 2020 AT 14:54

तुम कुछ यूं धड़कते हो मुझ में
कि शंखनाद हो संध्या का

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22 FEB 2020 AT 20:50

आज 'मैं' 'तुम' होना चाहता हूं

बारिश की बूंद बनना चाहता हूं
छू कर तेरे गालों को गुजरना चाहता हूं

सर्दी की वह धूप होना चाहता हूं
तेरे स्वेटर को छू लेना चाहता हूं

सांझ की हवा बनना चाहता हूं
तेरे बालों को लहराना चाहता हूं

आज फिर 'मैं' 'तुम' होना चाहता हूं

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22 FEB 2020 AT 12:15

उस पल मेरे साथ तुम्हें ठहरना था
उन बारिश की बूंदों में भीगना था
उन सर्द हवाओं में ठिठुरना था
अलाव की गर्माहट में सिकुड़ना था
तुम्हें अनजाने डर ने रोका होगा
फिर किसी बारिश में खुलकर भीगेंगे

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17 FEB 2020 AT 14:26

दरारों से कितना झांक पाओगे?
दर्द ए दिल को कितना समझ पाओगे?
कुछ पल बिताने होंगे साथ मेरे
तभी रुह तक उतर पाओगे

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15 FEB 2020 AT 18:56

कलम ने दोबारा लिखना शुरू कर दिया है
लगता है फिर किसी ने दिल में घरौंदा बनाया है



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14 FEB 2020 AT 22:10

दिमाग की जगह दिल बोलने लगा है
हां! इस दिल में अब कोई रहने लगा है

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