सबकुछ समेट लेना तुम,
थोड़ी जिंदगी जी लेना तुम,
थोड़ा उनपर मर लेना तुम ।।-
☞इक लेखक (मैं खुद के लिए लिखता हूँ)
☞ मोह माया से मुक्त
#MUMBAIKAR
#आवारा
#बं... read more
कुछ दर्द लिख कर मिटा देता हू,
इस तरह मैं खुद को संभाल लेता हूं,
सुख दुःख तो जीवन के साथी हैं,
यही सोच कर जिंदगी के कदम बढ़ा लेता हूं।।-
हां सुबह सुबह निकला था
मै कुछ जज़्बातो के साथ ।
शाम तलक देखा तो,
कुछ लफ्ज़ ही बचे थे मेरे पास।।
ना जाने कहां,
गुम हो गए जज़्बात।।
अरे सच में निकला था सुबह,
मै कुछ जज्बातों के साथ।।
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बात कुछ और होती,
दिन तो यूं ही गुजर जाता,
लेकिन रात कुछ और होती।।-
सोचा कुछ ऐसा लिखूं
कि तु मुझमें समा जाए,
यह घने बादल छठे
और दूरियां मिट जाए।।
हो हाथो में हाथ तेरे,
रहो पास तुम मेरे,
एकटक तुम्हे देखू,
तू शर्मा नजर फेरे ।।
बाहों में हो तू मेरे,
ये दिन गुजर जाए,
चाहत यही है अब ,
ये रात ठहर जाए।।
कुछ अनकही बातें भी हों,
प्यार की मुलाकातें भी हों,
इन बातों की पंगत में,
शाश्वत यादें भी हों।।
तुझे मुस्कुराता देख कर,
मेरा रोम रोम खिल जाए,
काश ये घने बादल छटे,
और दूरियां मिट जाए ।।
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ज़िन्दगी से हार के,
ज़िन्दगी जीना आया है मुझे।
आज खुद से हारा हूं,
शायद अब मुक्कमल हो जाऊ।।-
बचपन के सपने,
की ये चांद सितारे,
हो जाए अपने।।
अब ऐसा उलझा हूं,
जवानी में साहब,
अब ना नींद आती है,
ना कोई ख़्वाब।।
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जिधर की भीड हुई उधर के हो लिये सब
अकेली राह का हमें कोई मुसाफ़िर नही मिला ।-