Himanshu Upadhyay   (Tapori)
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Joined 11 February 2018


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20 OCT 2021 AT 11:33


सबकुछ समेट लेना तुम,
थोड़ी जिंदगी जी लेना तुम,
थोड़ा उनपर मर लेना तुम ।।

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18 OCT 2021 AT 23:12

कुछ दर्द लिख कर मिटा देता हू,
इस तरह मैं खुद को संभाल लेता हूं,
सुख दुःख तो जीवन के साथी हैं,
यही सोच कर जिंदगी के कदम बढ़ा लेता हूं।।

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30 OCT 2019 AT 22:13

best version of myself.

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15 OCT 2019 AT 15:04

हां सुबह सुबह निकला था
मै कुछ जज़्बातो के साथ ।

शाम तलक देखा तो,
कुछ लफ्ज़ ही बचे थे मेरे पास।।

ना जाने कहां,
गुम हो गए जज़्बात।।

अरे सच में निकला था सुबह,
मै कुछ जज्बातों के साथ।।

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14 OCT 2019 AT 14:43

वो इश्क ही क्या जिसमें दूरियां ना हो,
मजबूरियां ना हो।।

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6 JUN 2019 AT 20:13

बात कुछ और होती,
दिन तो यूं ही गुजर जाता,
लेकिन रात कुछ और होती।।

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26 MAY 2019 AT 20:03

सोचा कुछ ऐसा लिखूं
कि तु मुझमें समा जाए,
यह घने बादल छठे
और दूरियां मिट जाए।।

हो हाथो में हाथ तेरे,
रहो पास तुम मेरे,
एकटक तुम्हे देखू,
तू शर्मा नजर फेरे ।।

बाहों में हो तू मेरे,
ये दिन गुजर जाए,
चाहत यही है अब ,
ये रात ठहर जाए।।

कुछ अनकही बातें भी हों,
प्यार की मुलाकातें भी हों,
इन बातों की पंगत में,
शाश्वत यादें भी हों।।

तुझे मुस्कुराता देख कर,
मेरा रोम रोम खिल जाए,

काश ये घने बादल छटे,
और दूरियां मिट जाए ।।

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8 APR 2019 AT 10:15

ज़िन्दगी से हार के,
ज़िन्दगी जीना आया है मुझे।

आज खुद से हारा हूं,
शायद अब मुक्कमल हो जाऊ।।

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3 APR 2019 AT 20:14

बचपन के सपने,
की ये चांद सितारे,
हो जाए अपने।।
अब ऐसा उलझा हूं,
जवानी में साहब,
अब ना नींद आती है,
ना कोई ख़्वाब।।

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3 APR 2019 AT 19:56

जिधर की भीड हुई उधर के हो लिये सब

अकेली राह का हमें कोई मुसाफ़िर नही मिला ।

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