भले हो,
जितना बड़ा काफिला उतना ही बड़ा नाम
भिड़ के हमसे वो देखे, कर देंगे काम तमाम
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पर तजुर्बा रखते हैं पचपन का
Instagram: himanshu_singh_rajput71
दो मुल्क के बाशिंदों की तरह क्यूं दूर जाया जाए
हमें और हमारी यादों को साथ बिठाया जाए
क्यूं हर बार उसको ही बेवफ़ा बताया जाए
अच्छा होगा, खुद के जख़्म पे मरहम लगाया जाए
गमों का कारोबार बढ़ाने से बेहतर होगा
थोड़ा ही सही,कम से कम मुस्कुराया जाए
😍 Himanshu Singh Rajput 😍
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आंसुओं का सैलाब उमड़ जाएगा उनमें भी,जो खुद को खुदा समझते हैं
उन्हें इकतरफा मुहब्बत हो जाए बस, पता तो चले हम कितना तड़पते हैं-
इस पट्टी के माफिक हो गया हूं मैं,
दोनों छोर का सफर बहुत छोटा है,
पर हासिल मुझे कोई नहीं,
खैर मामला जो बराबरी का है-
कभी उसकी गली से गुजरने पर बस लोग तकते थे
उसने कहा था, उसके बाग में अमरूद पकते थे
कल यकीन भी हो गया हमें,देखकर वो नज़रें, नज़ारें
मुहल्ले की हर खिड़की पर पके अमरूद लटके थे
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मजलिस में कल, वो मेरी कीमत लगा रहीं थीं
और मुस्कुराकर अपनी ही मुस्कुराहट बता रहीं थीं-
मुहब्बत लैला की हो या मीरा की, बस पाक होनी चाहिए
पानी कितना भी हो, बस नहर साफ होनी चाहिए-
मुखातिब हुए जब अपने शज़र से
उजड़े पड़े थे, मशीनी कहर से
मिट्टी को अब तो नज़र लग रही है
बचाकर तू रख ले, उनकी नज़र से
महलों के परदे कल ही हमने देखे
चिंदी लगी थी खुद के बसर से
न मिट्टी की सोंधी खुशबू मिलेगी
बेजड़ शहर है,तू चल अब शहर से
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सारी तोहमतें लगाकर, वो मुझको बदनाम किए
किताब-ए-जिंदगी से सारे वरक़ निकाले
फिर फुर्सत में सरेआम किए
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मेरी कश्ती को तूफां पार लगाते हैं
ये पतवार तो महज़ नाव चलाते हैं
मैं भी आशिक रहा हूं अपने जमाने का
अब ये बात,मेरे हमदम,मेरे यार बताते हैं
मंजिल फतह मैं सिकन्दर-सा करूंगा
मेरी म्यान में छुपे वो धार बताते हैं
जब मरने बाद का ठिकाना पूछता है हिमु
अपने हमदर्द ही,ठिकाना समंदर पार बताते हैं
Himanshu Singh Rajput (Himu)
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