Himanshu Singh Rajan   (राजन)
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कलमकार ✍️
Joined 31 December 2017


कलमकार ✍️
Joined 31 December 2017
8 FEB 2022 AT 20:56

ये दरिया मेरे उस पार जाने को राजी नहीं है
और फिर अब तो तुझसे भी कोई नाराजी नहीं है
मेरी हर बात झूठी निकली एक मुद्दत के बाद मगर
यकीं कर मेरे जज्बातों में जालसाजी नहीं है..


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14 OCT 2021 AT 18:57

हिज्र में भी चाँदनी की रात लेकर आया हूँ
तुम्हारे आँसू छुपाने को बरसात लेकर आया हूँ
कोई चलता क्यूँ नहीं है मेरे कदमों के बराबर
मैं खुद में तो बेशक कोई बात लेकर आया हूँ..

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1 JUN 2021 AT 15:34

आईने को देखकर सजने संवरने वाले.
और पानी में गिरकर प्यास से तड़पने वाले.
कोई फर्क़ नहीं है दोनों में, वो एक ही हैं.
जंग से डरने और मुहब्बत में मरने वाले...

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9 MAY 2021 AT 9:45

जिसको स्वप्नों में देख देख अकबर डर जाया करता था.
मेरी मृत्य मुझको ताक रही, सबको बतलाया करता था.
जिसने भालों की गर्जन से मेवाड़ को अंबर पर रखा.
उस प्रताप की छाया भर से शत्रु घबराया करता था..

भीषण काया अद्भुत कौशल, वह खुद में जैसे भैरव था.
माटी का उसने मान रखा, मेवाड़ी कुल का गौरव था.
राणा की साहस गाथा को सदियों तक पूजा जाएगा.
वह महावीर कुलभूषण, वह हल्दीघाटी का केशव था..

- राजन



















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9 MAY 2021 AT 7:39

किसी शख्स से मुझको मुहब्बत नहीं
एक शहर से हुआ है, कमाल है ना..

ये सदियों पुराना है फिर भी नया है
मेरा शहर-ए-बनारस कमाल है ना..

घाटों पर बैठे मैं हरदम ये सोचूँ
इन हवाओं की खुशबु कमाल है ना..

इस शहर को समेटा है लफ्जों में जब भी
ये मेरे जेहन में घुला है, कमाल है ना..

शिव का ठिकाना है, यहाँ मृत्यु का उत्सव है
फिर भी ज़िन्दा शहर है, कमाल है ना..

अल्हड़ दीवाना सियासी फरेबी है
यहाँ सबकुछ कमाल है, कमाल है ना..!!

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16 APR 2021 AT 14:37

तुमने कहा था कुछ बात करनी है मुझसे,
और अब सवाल कर रहे हो, गलत बात है.

कश्ती में बैठकर बहाव से घबराने वाला,
तैराकों पर हँस रहा है, गलत बात है.

खंजर तेज है तुम्हारा मैं मानता हूँ मगर,
ये मेरे कलेजे के पार होगा, गलत बात है.

मुहब्बत है भी अगर तो जरा तहज़ीब से हो,
यूँ सड़क पर हाथ पकड़ना तो ख़ैर गलत बात है.

तुम्हारी नसीहतें तो बेहद कारगर हैं 'राजन',
पर तुम शख्स मुनासिब हो, गलत बात है..

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14 APR 2021 AT 23:08

शब्दों की नैया पर चढ़कर डूबता और उतराता हूँ.
भाव दबे जो अंतर्मन में, लिखता और सुनाता हूँ.
हे मेरी माटी! मेरी वसुधा, मुझपर एक एहसान करो.
मुझको बतलाओ मैं कितने स्वप्न सफल कर पाता हूँ.

बाण तुणीर लिया हर क्षत्रिय राम नहीं बन पाता है.
और लखन जो बन ना सका वो केवट ही बन जाता है.
अमृत जल का पान किया पर मृत्य फिर भी साथ रही.
जो सब हारे पर 'अहं' न हारा, वो रावण कहलाता है..

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8 APR 2021 AT 17:35

दुनिया गोल है, फिर लौटकर तुम यहीं आओगे.
इश्क के मारों का मेरे सिवा कोई ठिकाना नहीं..

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7 APR 2021 AT 22:19

ठगी का व्यापार करता हूँ.
हाँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ..🙃

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13 MAR 2021 AT 2:04

मेरी नब्ज टटोलकर कुछ मिलेगा नहीं
उसके नाम की तो मेरी दवा आती है.
अपने बनाए पिंजरे में ही दम घुट रहा
उसकी बनाई दीवारों से भी हवा आती है..

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