I know of sacrifices you don't even realise were made .
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HIMANSHU SINGH
(Himanshu Singh)
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कुछ सपनों की खातिर अपनों से दूर तो कुछ अपनों की खातिर सपनों से दूर हैं
Joined 18 June 2022
20 JUN 2022 AT 23:06
वो सुब्ह शाम खंज़र पे लगाते हैं मल्हम
ख़ून तो वैसे भी ज़ख़्मों का मुकद्दर ठहरा-
18 JUN 2022 AT 22:22
तुम अपने होठों पर पतझड़ के साथ और अपनी आँखों में झरनों के साथ मुझसे बात करते हो। मेरे शब्दों ने खिलना सीख लिया है लेकिन आंखें बरसती हैं।
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18 JUN 2022 AT 0:59
रात भर शब्दों की पालकी में झूलता हूं मैं,
सुबह निशब्द जागने से डरता हूं मैं l-