आज राह चलते उस मुक़द्दर से मुलाक़ात हो गयी...
जिसे कोसते थे उम्र भर आज उस से
रूबरू कुछ बात हो गयी.....
उन लकीरों के खेल का भी आखिर पूछ ही लिया मैंने उस से
कि क्या सच में जीत-हार का सार है बस उनमे...??
बोला वो सुनकर मेरी यह बात...
कि अगर होती इन लकीरों की इतनी औक़ात...
तो शायद उस आसमान को कभी नहीं छू पाते
वो बिन हाथो वाले दिव्यांग...!!
बात उसकी मुझे ठीक लगी..
तो मैंने अपने सवालो की कड़ी जारी रखी...
पूछा मैंने , तो क्या इन सब में है
उस ऊपर वाले का कोई चमत्कार....??
इस बार वो मेरे सवाल पर थोड़ा मुस्कुराया.....
बोला की उस ऊपर वाले ने सिर्फ तुझे है बनाया...
बाकी तो सब है सिर्फ तेरे कर्म का कमाया...!!
बाते उसकी बड़ी-बड़ी थी.....
लेकिन शायद मेरे दोस्त जिंदगी का सच भी वो ही थी...
जिंदगी का सच भी वो ही थी...!!- Himअंशु
16 SEP 2018 AT 20:53