Himanshu Rathore  
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Joined 9 July 2018


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Joined 9 July 2018
21 NOV 2023 AT 22:50


मैं घर नहीं बस एक ठिकाना था उनके सफ़र में,
अपने रास्ते चल दिए वो, बस कुछ देर ठहर के |


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6 AUG 2023 AT 15:16

लंबी उम्र गुज़ारी है हमने समझदार बनकर,
इस उम्मीद में की कभी हमें भी कोई समझे |

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29 JUL 2023 AT 17:33


अपना गुरूर तक रख दिया है तेरे कदमों में,
बता ऐ इश्क, और तेरी रजा क्या है |

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20 JUL 2023 AT 0:11

तेरे इश्क में खुद के इतने चेहरे देख लिए ,
जिनसे किसी आईने ने कभी रूबरू नहीं कराया |

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8 JUL 2023 AT 22:29

बेवजह तो नहीं पड़ी हमें ये शायरी की आदत,
एक तेरा हुस्न कयामत, दूजा मेरी बेपनाह मोहब्बत |

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13 JUN 2023 AT 21:30

किसी को खुदा ने शायरी का हुनर दिया ,
तो किसी को शायरी की वजह बना दिया |

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27 MAY 2023 AT 16:39

खोया है ज्यादा, पाया है कम इस जिंदगी में ,
तुम्हारी दो ऑंखें,
तुम्हारी दो बातें,
तुम्हारी दो यादें,
अब तो बस यही बची है हमारी मिल्कियत में ।

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23 MAY 2023 AT 0:31

कई दिन गुजरे तेरे इंतजार में,
कुछ पल मिले तेरे एहसास के,
अब अरसा गुजरेगा तेरी याद में |

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21 MAY 2023 AT 17:52

अगर एक काफी ना लगे फिर यह जरूर सोचना आखिर तुम्हें तलाश किसकी है,
क्योंकि ठिकाने तो कई हो सकते हैं, मगर घर तो बस एक ही होता है |

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19 MAY 2023 AT 22:50

अभी तो तुम मिले भी नहीं,
अभी से तुम्हे खोने का डर है |

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