मैं घर नहीं बस एक ठिकाना था उनके सफ़र में,
अपने रास्ते चल दिए वो, बस कुछ देर ठहर के |
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A medium to communicate with ownself.
A medium to get back to my ... read more
लंबी उम्र गुज़ारी है हमने समझदार बनकर,
इस उम्मीद में की कभी हमें भी कोई समझे |-
अपना गुरूर तक रख दिया है तेरे कदमों में,
बता ऐ इश्क, और तेरी रजा क्या है |-
तेरे इश्क में खुद के इतने चेहरे देख लिए ,
जिनसे किसी आईने ने कभी रूबरू नहीं कराया |-
बेवजह तो नहीं पड़ी हमें ये शायरी की आदत,
एक तेरा हुस्न कयामत, दूजा मेरी बेपनाह मोहब्बत |-
किसी को खुदा ने शायरी का हुनर दिया ,
तो किसी को शायरी की वजह बना दिया |-
खोया है ज्यादा, पाया है कम इस जिंदगी में ,
तुम्हारी दो ऑंखें,
तुम्हारी दो बातें,
तुम्हारी दो यादें,
अब तो बस यही बची है हमारी मिल्कियत में ।-
कई दिन गुजरे तेरे इंतजार में,
कुछ पल मिले तेरे एहसास के,
अब अरसा गुजरेगा तेरी याद में |-
अगर एक काफी ना लगे फिर यह जरूर सोचना आखिर तुम्हें तलाश किसकी है,
क्योंकि ठिकाने तो कई हो सकते हैं, मगर घर तो बस एक ही होता है |-