Himanshu Ranjan   (Himansshu Rranjan)
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अन्त अस्ति प्रारंभ
Joined 18 June 2021


अन्त अस्ति प्रारंभ
Joined 18 June 2021
19 HOURS AGO

ये जिंदगी है मंजिल का लालच देकर,
सारी उम्र सफ़र में रखती है..

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19 HOURS AGO

ये जिंदगी है मंजिल का लालच देकर,
सारी उम्र सफ़र में रखती है..

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5 JUN AT 8:28

मुद्द्दतो गुजारी हो जिसने रात में,वो
जुगनू रोशनी मिलते ही विराट हो गया..

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3 JUN AT 20:53

ll मुझे समझदार कहकर समझाया है लोगों ने ll
मेरे हिस्से मे समझौते के सिवा कुछ नहीं आया ...

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28 MAY AT 8:01

मै गुल्लक तोड़ के वापस गया जब,
वो गुड़िया और महंगी हो गई

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27 MAY AT 8:19

इन बादलों क़ा गुनाह नहीं क़ी वो... बरस गए,

दिल हल्का करने का हक़ तो सब को है...!!

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27 MAY AT 8:08

जब मिलूँ तुमको तो ऐसे समेटना मुझको
जैसे कि पहली दफा हो
जैसे कि अब कभी न मिलेंगे
समेटना ऐसे कि दर्द निथर जाएं मुझमें से
पीड़ाएं दम तोड़ दें मुझमें
और ध्वस्त हो जाएं उदासियों की अनगिनत मीनारें
जब मिलूँ तुमको तो ऐसे समेटना मुझको
जैसे कि सृष्टि समेटी जा रही हो
जैसे कि घर बचाया जा रहा हो
समेटना मुझको ऐसे कि मैं रो पड़ूं बिलखकर
आंसू बहा ले जाएं मेरा सारा एकाकीपन
और शेष रह जाए मुझमें केवल तुम्हारा प्रेम
जब मिलूँ तुमको तो ऐसे समेटना मुझको
...

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27 MAY AT 8:06

जिसका ये ऐलान है कि वो मज़े में है,
या तो वो फ़कीर है या फिर नशे में है।

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26 MAY AT 23:22

अब लिख नहीं पाता तो मैं क्या करु
हर बार जख्म दिखाना जरूरी तो नही

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26 MAY AT 8:40

असफलता खरोच जैसी है और हम इतने मूर्ख हैं कि उसे टैटू समझ लेते हैं...!!!

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