ये जिंदगी है मंजिल का लालच देकर,
सारी उम्र सफ़र में रखती है..-
मुद्द्दतो गुजारी हो जिसने रात में,वो
जुगनू रोशनी मिलते ही विराट हो गया..-
ll मुझे समझदार कहकर समझाया है लोगों ने ll
मेरे हिस्से मे समझौते के सिवा कुछ नहीं आया ...-
इन बादलों क़ा गुनाह नहीं क़ी वो... बरस गए,
दिल हल्का करने का हक़ तो सब को है...!!-
जब मिलूँ तुमको तो ऐसे समेटना मुझको
जैसे कि पहली दफा हो
जैसे कि अब कभी न मिलेंगे
समेटना ऐसे कि दर्द निथर जाएं मुझमें से
पीड़ाएं दम तोड़ दें मुझमें
और ध्वस्त हो जाएं उदासियों की अनगिनत मीनारें
जब मिलूँ तुमको तो ऐसे समेटना मुझको
जैसे कि सृष्टि समेटी जा रही हो
जैसे कि घर बचाया जा रहा हो
समेटना मुझको ऐसे कि मैं रो पड़ूं बिलखकर
आंसू बहा ले जाएं मेरा सारा एकाकीपन
और शेष रह जाए मुझमें केवल तुम्हारा प्रेम
जब मिलूँ तुमको तो ऐसे समेटना मुझको
...-
जिसका ये ऐलान है कि वो मज़े में है,
या तो वो फ़कीर है या फिर नशे में है।-
असफलता खरोच जैसी है और हम इतने मूर्ख हैं कि उसे टैटू समझ लेते हैं...!!!
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