Himanshu Prakash   (हिमांशु प्रकाश)
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Joined 9 June 2020


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Joined 9 June 2020
30 DEC 2022 AT 10:48

हे ईश्वर मेरे जिवन का ये उसूल रहने दे,
मुझे माँ की सेवा में मशगूल रहने दे ।
न बना ध्रुवतारा, सफलता के आकाश का,
मुझे माँ के चरणों का धूल रहने दे ।।

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28 AUG 2022 AT 17:33

है लाख समंदर संकट के,
पर कहाँ डरा हूँ मै ?
जुड़ा हुआ ज़मीन से अपने,
अड़ा खड़ा हूँ मै।

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22 JUL 2022 AT 2:16

मिलन कभी ना हुआ मगर, अधरो के प्यास को जान रहे।
हम दूर-दूर से एक दूजे को, आकर्षण से बांध रहे।

दीवाने है ये ग्रह सभी, सब कितने चांद घुमाते है।
पर मैं धरती सा, और तुम मेरे, एक अकेले चांद रहे।

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15 JUL 2022 AT 0:49

ये नही की मुझे कोई और काम था,
ये भी नही की मैं नींद से सो गया।
दरअसल आपके बातों से सुकून मिला इतना,
पता नही कब मैं आपके खयालों में खो गया।

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25 JUN 2022 AT 0:57

मैं आज उनसे प्यार कर बैठा।
अपने जीवन की सभी खामियों से,
मैं एक साथ तकरार कर बैठा।

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19 JUN 2022 AT 21:29

तपता सूरज नीलगगन में,
निशा का तम निशिदिन हरता है।

चमकती है बिजली जब नभ में,
काली घटाओं में रंग भरता है।

दीप ज्वलित हो जगमग जगमग,
अंधकार घर का मिटता है।

पर तिमिर के सागर में,
जब जिवन ज्योति खो जाए..
तब पूज्य पिता के सिवा भला,
हमे कौन उबारा करता है ?

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7 MAY 2022 AT 23:04

हे ईश्वर मेरे जिवन का ये उसूल रहने दे,
मुझे मां की सेवा में ही मशगूल रहने दे।
न बना ध्रुवतारा, सफलता के आकाश का,
मुझे मेरी मां के चरणों का धूल रहने दे ।।

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23 APR 2022 AT 9:07

अइसन एक समर मतवाला
भइलन शाहाबाद के माटी में,
उ तब तलवार उठा लिहले
जब रहे अवस्था लाठी के।

देख के अंग्रेजी जंजीर जकड़त
भारत माता के छाती से,
राजपूती खून रहे मचल गइल
उनकर बूढ़ा कद काठी में।

बा कोटि कोटि प्रणाम चरण में
ओह वीर कुंवर पितामह के,
साहबजादा सिंह के नंदन के,
ओह शाहबाद के थाती के।
💐💐🙏🏻

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12 APR 2022 AT 22:29

तराशा खुद को बेइंतहा उन्हें भुला कर के,
खुद्दार भी मैं फिर कुछ इस क़दर निकला।

मै जिसे ढूंढता था हर जगह, अभी कल तक,
आज मुझे ढूंढने को, वो खुद दर-बदर निकला।

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23 MAR 2022 AT 12:19

आज कल मुझसे ही उलझते है, मेरे कहानियों के पात्र,
जो जरा सा कलम घुमा दूंगा, तो इनके जान ले लूंगा।

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