हम दिल की सुनते तो, शायद बात कुछ और होती..
तारों के नीचे हमारी रोज़ बात होती है I
खेलता मैं भी तेरी जुल्फों से..
खेलता..मैं भी तेरी जुल्फों से,
जो तू यहां मेरे साथ होती है II
#selfmusing_hp💫✍🏻-
It's just the Characters Happening Around.
पहाड़ों वाली चाय जैसी हो तुम..
पहाड़ों वाली..चाय जैसी हो तुम,
होंठों से लगाते ही कोई सुकून मिल जाता है जैसे ॥
#selfmusing_hp💫✍🏻-
कमाये हुए सारे दोस्त बिछड़ गए कमाने के चक्कर में,
सब घर बार से दूर बैठे हैं घर जाने के चक्कर में।
स्कूल हॉस्टल के किस्सों की अब हम-में से कोई बात नहीं करता,
सब भविष्य की चक्रव्यूह में फंस गए हैं SIP और EMI जमा करने के चक्कर में..॥
कमाई हुए सारे दोस्त बिछड़ गए कमाने के चक्कर में..
सबका मिलने का मन तो करता ही होगा..कि थोड़ा वक्त गुजारें दोस्तों के साथ..
पर सब व्यस्त हैं बच्चों का होमवर्क और मीटिंग निपटाने के चक्कर में..॥
मैं भी सोच रहा हूँ कि मिल आऊँ सबसे..
मैं भी सोच रहा हूँ की वक्त निकल कर मिल आऊं सबसे,
कमबख्त 8 साल गुजर नौकरी की हाजरी लगाने के चक्कर में..॥
साला...
सारे कमाये हुए दोस्त बिछड़ गये कमाने के चक्कर में…-
तुझे गले लगाने को मेरा बहुत जि कर रहा है ।
कस लूँ तुझे मैं अपनी बाहों में - ऐसा मेरा दिल मुझसे ज़िद कर रहा है ॥
आ बैठ मेरे सामने कि तुझे जि भरकर देखूँ मैं..
आ बैठ मेरे सामने..कि तुझे जि भरकर देखूँ मैं,
तू भी देख..कि कैसे ये तेरा दीवाना तेरी दीद कर रहा है ॥
#selfmusing_hp💫-
दिल तुम्हारे बिना कहीं लगेगा नहीं..
दिल तुम्हारे बिना..
कहीं लगेगा नहीं ।
लगेगा कि लगने लगा है..
पर लगेगा नहीं ॥
#selfmusing_hp💫-
उसके जाने का ये मलाल कैसा है,
इस बार का ये नया साल कैसा है।
उसके जाने का..ये मलाल कैसा है,
इस बार का ये नया साल कैसा है।
बेचैनियों में मैं तो ढूंढ ही रहा था उसकी तस्वीरें,
कि उसने आकर पूछ दिया तुम्हारा हाल कैसा है॥
#selfmusing_hp💫-
छठ पूजा आ रहा है, तुम लोग घर आ रहे हो ना बेटा ।
पापा का Pension नहीं आया है, तुम कुछ पैसे बचाकर ला रहे हो ना बेटा ॥
इस बार तुम्हारे भाई-बहन भी आ रहे हैं,
तुम भी बहु-बच्चों संग घर आ रहे हो ना बेटा ।
इस बार तुम भी छठ में घर आ रहे हो ना बेटा…
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छोटका बाबू से पता चला कि तुम नहीं आ रहा है ,
काहें..छुट्टी कि अर्ज़ी लगाये थे ना बेटा ।
पता है Ticket नहीं मिल रहा है..पर सबका बच्चा लोग आ रहा है,
तुम भी कोई गाड़ी पकड़ कर आ रहा है ना बेटा ।
तुम्हारे बाबू जी पूछ रहे थे कि बड़का भी इस बार छठ में आएगा ना,
बोले मेरे तो कमर में दर्द है, बड़का बाबू दउरा उठाएगा ना।
बाबू…इस बार छठ में तुम भी घर आएगा ना बेटा…
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गुलाब की पंखुड़ियों का रंग अब लाल हो गया है,
तेरे साथ रहकर एक और साल हो गया ।
तू मेरी फगुनिया है ये सब जानते हैं..
तू मेरी फगुनिया है ये सब जानते हैं,
तुझसे मिलकर मुझे लगता है..
इस मांझी के साथ कुदरत का कमाल हो गया ॥
#selfmusing💫✍🏻-
मेरी हर हर्फ़, मेरी हर कविता में तुम हो...
मेरी..हर हर्फ़, मेरी हर कविता में तुम हो,
मेरी राधा में तुम हो, मेरी सीता में तुम हो।।
#selfmusing_hp💫-
ना जाने कितने इश्क़ करके बेज़ार बैठें हैं ,
कुछ काम नहीं करते, बस बेकार बैठें हैं ।
डिग्री थी, कुछ कर लिये होते तो अच्छा होता ..
डिग्री थी, कुछ कर लिये होते तो अच्छा होता ,
अब हर वक़्त यही कहते रहते हैं,
अल्लाह मियाँ कुछ कर दो, हम बेरोज़गार बैठें हैं ॥
#selfmusing_hp💫✨-