Himanshu Pandey   (हिमांशु की कलम)
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Joined 22 November 2018


Joined 22 November 2018
2 DEC 2022 AT 0:29

ग़र करोगे इश्क़ फूलों से
तो हिस्से में काँटे भी आएंगे

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2 DEC 2022 AT 0:22

क्यूँ मुँह फ़ेर लेते हो अपनी कमियों से
आख़िर ये भी तो तुम्हारी अपनी ही हैं

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2 DEC 2022 AT 0:17

अपने हिस्से की नाकामियां सबको मिलेंगी
नाकामियों को क़ुबूल करने वाला ही कामयाबी का हक़दार होगा

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29 NOV 2022 AT 9:20

कुछ ऐसा करो कि मैं भूल जाऊँ उसको
उसकी यादों ने मुझे भीतर तक तोड़ दिया है

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22 NOV 2022 AT 10:45

ये जीवन अस्त-व्यस्त ही ठीक है
व्यवस्था इसे नीरस बना देती है

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22 NOV 2022 AT 10:42

मौत ही है तकलीफ़ों का अंत
ज़िन्दगी तो तकलीफ़ों की नींव पर खड़ी है

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31 OCT 2022 AT 19:21

बड़ी मुद्दतों बाद आज रोया हूँ मैं
शायद! तभी सुकूँ से सोया हूँ मैं

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29 OCT 2022 AT 12:21

मैं ये नहीं जानता कि सही क्या है
परन्तु मैं ये अवश्य जानता हूँ, कि क्या ग़लत है

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6 OCT 2022 AT 12:30

कामातुर दृष्टि! एक न एक दिन
संबंधों की सीमाओं को लाँघ जाती है

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5 OCT 2022 AT 23:19

आप जब बंदिशें लगाओगे मेरे बोलने पर
तब मैं यक़ीनन मौन हो जाऊँगा
और मेरा ये सहसा मौन हो जाना
आपको बहुत अशांत कर देगा

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