स्वप्न अधूरे रहे जाते हैं।
अपने भी पराये हो जाते हैं।।-
कभी बैठूँ पीपल की छांव में,
तेरी मखमली इन बाहों में,
सर रख कर अपना तेरी गोदी में,
तेरी आँखों मे खो जाँऊ मैं।।
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दिल कहता हैं दिल लगा लिया जाए,
दिमाग़ कहता हैं कही फिर धोखा ना मिल जाये।।-
तू अपनी साड़ी का पिन बना ले मुझको,
लगाने से पहले अपने होठों से दबा ले मुझको,
बचा लूँगा मैं तेरा पल्लू गिरने से,
बस एक बार अपने कंधे पर सजा ले मुझको|-
चलो करें विदा तुम को हम
अपने इस छोटे से घर से
तुम तो हो महलों की रानी
इस दिल मे ना रहे पाओगी
स्वछन्द हवा सी तुम बहने वाली
चिड़ियों सी तुम उड़ने वाली
मधुर मधुर तुम कोयल जैसी
कड़वा तुम ना कहे पाओगी
तुम तो हो महलों की रानी
इस दिल ......
तुम तो हो गंगा यमुना जैसी
मस्ती में बहती हो
बीच खड़ा मैं पर्वत जैसा
सागर में ना मिल पाओगी
तुम तो हो महलों की रानी
इस दिल ........
तुम हो सूरज की किरणों सी
मैं अमावस का घना अँधेरा
तुम मेरे संग इस जीवन मे
साथ नही चल पाओगी
तुम तो हो महलों की रानी
इस दिल ......-
देख देख कर लोगो की शादी
जलन हो रही मन में भारी
हो गया मैं बाइस बरस का
नही मिली कन्या कुँवारी
हे विधाता क्या तुम भूल गए मेरी वाली
कैसा संकट आया हैं
जग में कोरोना छाया हैं
मर रहे हैं लोग प्रभु मिला दो मेरी वाली
हो गया मैं बाइस बरस का
नही मिली कन्या कुँवारी
हे विधाता क्या भूल गए तुम मेरी वाली
😂😂😂😂
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*प्रेम मौन होता हैं*
जब आप अपने प्रेमी की खुशियों के लिए अपनी खुशियों का त्याग हँसते हँसते कर देते हैं तब आप प्रेम के सर्वोच्च शिखर पर बैठे होते हैं। प्रेम में अपने प्रेमी के लिए लुट जाना मिट जाना और सबसे बड़ी बात प्रेमी के लिए अपनी पहचान मिटा देना ही सर्वोच्च प्रेम का लक्षण हैं जो हर किसी के वश के बात नही ऐसे तो कुछ ही विरले होते हैं इस संसार मे जैसे पानी अपने प्रेमी दूध से मिलने के लिए सबसे पहले अपनी पहचान मिटाता और फिर वही दूध पानी को भी बहु कीमत मूल्य में बिकवा देता जबकि वास्तविकता में पानी का तो कोई मूल्य नही और जब दूध बिक जाता हैं तो आप सब ये जानते हैं कि सबसे पहले दूध को अग्नि पर रख कर गर्म किया जाता हैं अब दूध जब ये देखता हैं कि मेरा प्रेमी जल विपत्ति में हैं तब वह अपनी सारी सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए बर्तन से बाहर केवल उस अग्नि को शांत करने निकलता हैं जिससे मेरा प्रेमी सुरक्षित और सैदव मेरे पास रहे यही तो प्रेम का वास्तविक रूप हैं और ध्यान देने वाली बात तो ये हैं कि यह सारी क्रिया मौन ही होती हैं इस क्रिया में दोनों प्रेमी मौन हैं।
✍️हिमांशु मिश्र
०९/०१/२०२०-
तेरी बाट निहारु आ जा साँवरिया
आ रे आ जा साँवरिया आ जा
मैं व्याकुल हुँ तेरे मिलन को ...2
एक बार मुस्काजा साँवरिया
आ रे जा ....
किये थे वादे जो तुमने प्यारे
भूल गए क्या वो सारे के सारे
अब आकर वो वादे निभा जा साँवरिया
आ रे जा ......
क्यों तड़पाते हो मनमोहन
तुम ही हो मेरे जीवनधन
अब आकर दरश तो दिखाजा साँवरिया
आ रे जा ....
मुझ विरहन से सहन ना होवे
यह दूरी अब दूर तो होवे
अब आकर तू अपना बना जा साँवरिया
आ रे जा ....-