स्कूल का वो पहला दिन था,
बिताना जो माँ के बिन था।
आँखों से बहा गंगाजल सा नीर था,
पापा की सख़्ती के आगे चला ना अपना तीर था।
भेजे गए जहाँ वो विद्या का मंदिर था,
सब कुछ सिखे जिससे हम वहीं पर वो पीर था।
- { हिम }
19 JUN 2017 AT 10:40
स्कूल का वो पहला दिन था,
बिताना जो माँ के बिन था।
आँखों से बहा गंगाजल सा नीर था,
पापा की सख़्ती के आगे चला ना अपना तीर था।
भेजे गए जहाँ वो विद्या का मंदिर था,
सब कुछ सिखे जिससे हम वहीं पर वो पीर था।
- { हिम }