है तू दर्पन तो मुझे अक्स समझ लेना
अक्स से बनी अपनी परछाई समझ लेना॥
परछाई से तो रिश्ता देह का होता है
उस देह मे संवरता अपना दिल समझ लेना॥
दिल मेरा भावुक हो जाये तो निराश न होना
मेरी भावनाओ को ही तुम प्रेम समझ लेना॥
प्रेम है कठिन,असंख्य त्याग से है इसे खिलना
उन त्याग को ही तुम इन्तज़ार समझ लेना॥
इन्तज़ार चाहे करना पडे जीवन की हर घड़ी,
बस अन्त तक तुम मुझे अपना समझ लेना॥
पंखुडी और फूल का सोंदर्य तू खुद को समझ लेना
और खुशबू रूप मे तू अपनी रूह मुझे समझ लेना ॥
-हिंanशु महाvaर-
जीने तो हम भी आये इस जीवन को
मगर कम्बखत ये वतनपरस्ती की आदत छूटी ही नही
- हिंanशु महाvaर-
कठिनाईयाँ आती है राह मे तो आने दे
देख लेंगे,
तेरी हिम्मत से ज्यादा बल नही उसमे
हरा देंगे,
शिखर की उंचाई से डरना क्या , घबराना क्या
उसे भी चीर देंगे,
कर हौंसला बुलंद उस क्षितिज़ पर
पार उसे भी कर लेंगे॥
-हिंanशु महाvaर
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विचार किसी के लाती है
मन खुद ही का ये जलाती है॥
रख मन मे तू बैर किसी का
क्यूँ प्रेम की नाव डुबाती है॥
श्रेष्ठता तू बतलाने खुद की
खुद का स्वार्थ रचाती है ॥
जकडा सबको इस ढंग से
निकल ना कोई पाया है॥
ऐ इर्ष्या बता तू खुद से
कैसा ये मोह सजाया है॥
- हिंanशु महाvaर
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Sun shines because it burns itself
Moon remains calm has no mean
- हिंanशु महाvaर-
हाँ माना दूर से कुछ खामोश लगती है
जिन्दगी हमारी,
जरा सा फ़ासला कम करके तो देखो,
जिन्दगी जीना सीख जाओगे ॥
-हिंanशु महाvaर-
वो प्यारा है, फिर भी किसी के प्यार के पीछे भागता ,
वो सुन्दर है, फिर भी सुन्दरता से खुद को मापता ॥
वो काबिल है, फिर भी वो ओर काबिलियत चाहता ,
वो अनमोल है, फिर भी सबको अहमियत अपनी बतलाता ॥
पहले ना था ऐसा मेरा मन,
बस था ये हँसता और बस खुश था रहता ॥
दुनिया के मापदंडो मै है ये कसकर फँसा
क्या है अच्छा, क्या होगा बुरा कुछ ना सोच ये पाता ॥
समय इसे भी देना होगा, बैठकर थोडा बहलाना होगा
यही तो मन है मेरा जो हर घड़ी मेरी नौका पार लगाता ॥
- महाvaर हिंanशु
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बनता एक ख्वाब छोटी सी उम्र में,
उस ख्वाब के साथ हर पल मैं बढता हूँ ।
जीवन और ख्वाब वो मेरे मनमोहक क्षितिज बनाते है,
उस क्षितिज को पाने मैं भी
अपनी एक राह बनाता हूँ ।
राह वो दिखती सरल, मंज़िल की आस बनाती है,
रख लालसा पाने की मैं उस ओर दौड़ता जाता हूँ ।
क्षितिज वो कभी ना आता अन्त पर,
मैं भटकता सा फिर महसूस करता हूँ,
हर कतरा मेरा फिर बिखरता है
बिखरा सा मैं फिर भी कोशिश करता हूँ,
निकला जिस ख्वाब को मैं पाने की सोच
मै फिर एक डगर पर बढता हूँ,
भुल कर मंज़िल मै अब अपनी,
उस अन्त की तलाश करता हूँ ।
- महाvaर हिंanशु-
If you have to find success
You have to sacrifice everything
that you love the most.....
And if talk about establishing peace
you have to sacrifice people ...
-महाvaर हिंanशु-
कितने खुबसूरत रंग मिले है तेरी दुनिया मे,
उन रंगो से तेरी तस्वीर बनाना मुझे अच्छा लगता है ॥
गम की वजह तो कई बार हज़ार मिल जाती है,
मगर तेरी मुस्कान की एक वजह ढूंढना मुझे अच्छा लगता है ॥
कई बार इन डगमग राहो पर गिर जाता हूँ,
फिर तेरा हाथ पकड संभलकर चलना मुझे अच्छा लगता है॥
अल्फाज़ तो अनेक मिल जायेंगे बिखरे मेरे पास,
उन्हें समेट कर तुझसे बात करना मुझे अच्छा लगता है॥
लड़ना,झगडना और नाराज़ होना तो लगा रहता है,
मगर उस नाराजगी को तेरी हंसी मे बदलना मुझे अच्छा लगता है॥
वक़्त की इस दौड़ में तलाश है बस तेरी खुशी का,
क्योंकि तेरी खुशी में खुश होना मुझे अच्छा लगता है॥
लफ्ज़ तो नही मेरे पास जिससे तुझे बयाँ कर सकूँ,
बस कविता मे सहेज कर तुझे महसूस करना, हाँ मुझे अच्छा लगता है॥
-महाvaर हिंanशु
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