Himanshu Kulshrestha   (हिमांशु Kulshreshtha)
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बस दिल की बात शब्दों में पिरो देने का छोटा सा प्रयास
Joined 18 August 2019


बस दिल की बात शब्दों में पिरो देने का छोटा सा प्रयास
Joined 18 August 2019

तुम्हारी मौजूदगी मेरी रातों को 
कुछ इस तरह संवार देती है 
जैसे चांदनी 
किसी वीरान आंगन में उतर आए
वो नींद जो अक्सर रूठ जाती है 
अब तुम्हारे ख्यालों की लोरी सुनकर 
खुद ब खुद आँखों में उतर आती है

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छू जाते हो तुम मुझे
बेशक, ख्वाब बन कर ही सही
कौन कहता है दूर रह कर
मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती

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तुम जो ज़ुदा
होते मुझ से
तो शिकायत भी होती शायद
तुम रूह हो मेरी
फ़िर शिकवा कैसा
शिकायत कैसी

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21 MAY AT 22:34

तुम नहीं मेरी
बेशक मैं जानता हूँ ये
मगर तुम से मोहब्बत है तो है
कब कहा मैंने…
तुम मिल जाओ मुझ को
हो कर किसी ग़ैर की भी
ग़ैर ना हो जाओ
बस इतनी सी हसरत ही तो है

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20 MAY AT 12:13

एक अबूझ सा सन्नाटा
पसरा है हमारे दरमियाँ 
कहना कुछ उन्हें भी है
बहुत कुछ बताना मुझे भी है..
मगर क्या करें..
ख़ामोश रहना मजबूरी है
चुप रहना भी ज़रूरी है.....!!

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19 MAY AT 12:55

नींद, ख्वाब और ख्याल
हरजाई है,
इनका होना क्या और खोना क्या

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18 MAY AT 12:45

आँखों में मेरी
आज भी नमी बाकी है
तुम्हें ऐतबार हो न हो
तुम्हारा इश्क़ आज भी
मुझ में बेहिसाब बाकी है

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17 MAY AT 13:04

कल रात एक ख्वाब देखा
ख्वाब में तुझे बेहिसाब देखा 🌹

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17 MAY AT 13:00

तुम्हें हासिल करने की चाहत के बिना
किस क़दर मोहब्बत की है तुम से 
जो तुम मुक्कमल मिल गए होते 
शिद्दत मेरे इश्क़ की बेमिसाल हो जाती 


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14 MAY AT 20:55

ख्वाबों में ही सही
जब जब तुम करीब पाया है
धड़कनें दिल की ताल मिलाती रहीं
सांसों की खुशबू रातों रात महकाती रहीं
चाँदनी शब में तेरे होंठों की छुअन गुदगुदाती रही
उँगलियाँ उँगलियों को शिद्दत से थामती रहीं
तुम्हें पाने की यूँ तो कभी चाहत नहीं रही
जिन्दगी बेसबब नगमें गुनगुनाती रही

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