Himanshu Kulshrestha   (हिमांशु Kulshreshtha)
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बस दिल की बात शब्दों में पिरो देने का छोटा सा प्रयास
Joined 18 August 2019


बस दिल की बात शब्दों में पिरो देने का छोटा सा प्रयास
Joined 18 August 2019
29 AUG AT 12:32





"आज आपकी पुण्यतिथि की 8वीं वर्षगांठ पर, मम्मी , हमें आपकी याद आती है। आप आज हमारे बीच अनुपस्थित हैं फ़िर भी, आपका प्रेम और स्मृतियाँ हमारे हृदय में बसी हुई हैं। हमें आपकी कमी बहुत खलती है। हम आपकी स्मृति को नमन हैं और प्रार्थना करते हैं कि आप की आत्मा को शांति मिले। "

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26 JUL AT 19:44

जब पहली बार तुम मेरी बाहों में समाए,
तेरी मासूम आँखों में सब उलझनें खो जाएं।
पिता से नाना बनने का सफर, एक पल में पूरा हो गया,
तेरे आगमन से मेरा परिवार सचमुच संपूर्ण हो गया।

तेरी शरारती मुस्कान दिल को है बहुत भाती,
तेरी मासूम शरारत सब दुखों पर भारी पड़ जाती।
यूँ तो एक बरस बीता, पर लम्हों सा महसूस होता है,
मेरे नन्हें राजकुँवर, हर पल तू पास ही होता है।

तेरे आने से जीवन में नई रौशनी छा गई है
सपनों की सूनी ड्योढ़ी पर खुशियों की वापसी आ गई है
मेरी बाहों का झूला, तेरा पहला ठिकाना रहा,
तू मुस्काया, तो हर ग़म मेरा फसाना रहा।

आँखों की कोरों में अब बस तेरा ही अक्स बसा,
मेरे लाल, तू है तो हर रिश्ता अपनापा सा लगा।
तेरी एक हँसी से दुनिया में मिठास घुल जाती है,
तुम्हें देख न लूँ जब तक जैसे हर घड़ी थम जाती है।

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13 JUL AT 13:33

ग़र महज़ एक
ख्याल होती तुम
तो, शायद भूल भी जाते हम
तुम तो हो
एक मुकम्मल एहसास
जो मेरी रूह
मेरे वज़ूद में समाया है!!

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12 JUL AT 19:36

तुम्हारी शरबती आँखों में
डूबने को जी चाहता है
तेरे मरमरी ज़िस्म को
छूने को दिल चाहता है
दूर से तो मोहब्बत में
सजदे बहुत किए अब तक
आ कर करीब अब
बुतपरस्ती को जी चाहता है

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11 JUL AT 20:44

आओ बैठो करीब मेरे
सुनो ख़ामोशी से
कभी लिखा था तुम्हें लफ्जों में
और पिरो दिया था ख़ुद को तुम में
उन्हीं लम्हों की
एक ग़ज़ल सुनाता हूँ तुम को

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10 JUL AT 13:12

कब लौटते हैँ
वो गुज़रे हुए पल
अब तो बस ख़्वाबों में
सजती हैं हर रात मेहफ़िल
यादें रचती हैं रक़्स
और जी लेता हूँ मैं हर पल

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2 JUL AT 20:44

एक मीठा सा
एहसास हुआ है
अभी-अभी..
ऐसा लगा
किसी ने छू लिया है
अभी-अभी..!!

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30 JUN AT 22:37

लो,
तुम्हारी यादों ने आज
क्या ग़ज़ब कर दिया
बेसबब चली आयीं यूँ ही
फ़िर मेरी आँखों को नम कर दिया

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29 JUN AT 13:56

मैं.....
किताब ए मोहब्बत हूँ
मेरे पहले सफ़े पर नक्श है
इश्क़…
आख़िरी सफा बोझिल है
हिज्र से
बीच के पन्नों पर दर्ज हैं
हज़ारों हजार लम्हे
कुछ खुशनुमा
कुछ कड़वे, कुछ मीठे ज़ज्बात से पगे
उम्मीद से भरे
कुछ नाउम्मीदी से भरे

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26 JUN AT 12:50

Papa,
it's been 17 years, 
but it still feels like yesterday that I saw you last.
 I miss you more than words can say.
Thinking of you on your death anniversary. 
Your love continues to guide and inspire me."

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