कभी मैं तो कभी वक्त़ मुझसे जीत गया।
इसी खेल में मेरा एक और साल बीत गया।।-
💐May you get prosperity and fortune on this auspicious and pious occasion of Diwali !
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अयं दीपावली-महोत्सवः भवत्कृते भवत्परिवारकृते च क्षेमस्थैर्यं-आयुः-आरोग्यं-ऐश्वर्यं च अभिवृद्घिकारकः भवतु,अपि च श्रीसद्गुरुकृपाप्रसादेन सकलदुःखनिवृत्तिः आध्यात्मिक-प्रगतिः श्रीभगवत्प्राप्तिः च भवतु... इत्यहं प्रभू श्रीरामचरणयोः प्रार्थयामि।
!! शुभं भवतु !!
शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
!! दीपोत्सवस्य हार्दाः शुभकामनाः !!
भावत्कः-झोपाख्यः हिमांशुः।
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चाणक्य नीति: ✍ यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते । ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि ।।
_जो व्यक्ति किसी नाशवंत चीज के लिए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है।
_Whoever leaves a thing that does not get destroyed for any perishable thing, then the indestructible thing goes by itself, and there is no doubt that it also loses the destroyer.
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मूकं करोति वाचालं,पङ्गुं लङ्घयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वन्दे,परमानन्द माधवम्।।
मैथिली भावार्थ-
जिनकें कृपा सँ बौक-बधिर व्यक्ति खूब वाचाल भ३ जाइत छै तथा अपङ्ग पहाड़ चढय में सक्षम होएत छै,ओहि परमानन्दस्वरूप मध्वरि भगवान् श्रीकृष्ण केँ हम प्रणाम करैत छी।
झोपाख्यः हिमांशुः।
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आचारः परमो धर्मः,ह्यचारः परमं तपः।
आचारः परमं ज्ञानम्,आचारात्किं न लभ्यते।।
मैथिली भावार्थ-
सदाचार वा शिष्टाचार सबसँ पैघ धर्म अछि।सदाचारे सबसँ श्रेष्ठ तपस्या थीक।सदाचार सँ बढिकय कोनो ज्ञान नहि।अत एव सदाचार के आश्रय में कोनो वस्तु अलभ्य ने।-