अंधेरों में इश्क के दस्तियाब दफ्न है
उजालों में मिल कर मुकर जायेंगे...
उनकी इज़्जत है उनका घर है उनकी बात सही है
जिनको गैरत है बताओ वो किधर जायेंगे !!!-
ये काली रात हैं
या मैने देखा है तुम्हारे साड़ी का पल्लू !
ये सितारों की बारात हैं
या मैने देखा है तुम्हारे साड़ी का पल्लू !
सुनो ये ना कहना
की बहक कर कह रहा हुं तुम्हारे प्रेम में !
वासना और वात्सल
का अभूत सार हैं तुम्हारे साड़ी का पल्लू !
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खा कर इश्क में चोट जो ताउम्र की कैद मांगते है
वो आदमी है, जो कभी प्यार तो कभी मौत मांगते है...!!-
बाहर का हर शख्स अपना
घर का दुश्मन नजर आता है
वो जो जवां हुए है अभी - अभी,
उनको बस मौसम नजर आता है।-
तेरे यादों में जिंदा बाशिंदा हूं मैं
अकेले रातों में उड़ता परिंदा हूं मैं
फजा मोहब्बत की बाते करेंगे सभी
जो अंत तक साथ हो वो कारिंदा हूं मैं।-
उसने कहा कि पापा ने तुमसे मिलने को मना किया है
जी.. ' वो चांद है मेरी उसके बाप ने ग्रहण किया है..!!-
रहा ताउम्र बन के उसका रकीब मैं.....
वो मेरी है इस बात की गलतफहमियां रही मुझको।।-
रस्तगारी में हूं मैं उसकी मोहब्बत से,
उसे ' कोई बेहतर मिला है हमसे कमाने वाला !-
बड़ी शिकायते है तुमको चरागो की रौशनी में
हमसे मिलो कभी हम जुगनुओ साएं में रहते है..!
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दिल ए दस्तियाब रहता है मेरे मन का इधर - उधर...
एक तुझे देखता हूं तो ठहर कर तुझे देखने को जी करता है।-