बहुत दुःख हुआ ये सुनकर, की चले जाओ मेरी ज़िंदगी से कहीं दूर,
हमारा–तुम्हारा रिश्ता खत्म....
अब कहती है वापिस आजाओ, जब छोड़ गया वो ।-
गंदगी फैलाने वाला कोई और नहीं अमीर होता है।
क्यों कि
गरीब तो मार्ग में पड़ी फटी थैलियां भी उठा लेता है।।-
आज खुशी के मौके पर जी, सोभना रानी आई है,
मुख देखो देवेंद्र श्री का,चेहरे पे खुशी सी छाई है,
आज खुशी के मौके पर जी, सोभना रानी आई है।।
थाम के बैठो दिल्ली वालों, ये माचिस की सलाई है,
प्रेम से बोलो, घर को चलाए, गुस्से में आग लगाती है,
प्रेम से रखना श्री देवेंद्र जी, ये हमने आस लगाई है,
मुख देखो श्री देवेंद्र श्री का, चेहरे पर खुशी सी छाई है,
आज खुशी के मौके पर जी, सोभना रानी आई है।।
लालपुरा की धर्मशाला में, क्या हमने झांकी सजाई है,
प्रेम का बंधन, प्यार का बंधन, एक दूजे की कलाई है,
हाथ मिला लो, दिल से दिल अब, और कुछ न भाई है,
मुख देखो देवेंद्र श्री का, चेहरे पर खुशी सी छाई है
आज खुशी के मौके पर सोभना रानी आई है।।
प्रेम का बंधन, आनंद का बंधन, इसमें दुनिया सब समाई है,
शिव को देखो विष को पीकर, नीलकंठेश्वर कहाए है,
मुख देखो देवेंद्र श्री का, चेहरे पर खुशी सी छाई है
आज खुशी के मौके पर सोभना रानी आई है।।
लेख – नाथूराम जैन (नानू)
-
ऐसी कोशिश है आप की, जो दिखती नहीं जहान में–२
दगा देना न मुझे, बैठा हूं मैं तेरी आस में ।
लाखों मुरीद मेरे है, तू क्यूं फंसा इस दरार में–२
फरियादी मजनू चले गए, सिर्फ मेरे इंतजार में ।।
लेख– नाथूराम जैन (नानू)-
सुनरी सजनी मेरी सहेली, नाम तेरा क्या, देखो सुहाना
दुनिया है दो रंगी पगली, दुनिया है दो रंगी पगली
ले जाए ना कोई दीवाना ।
बदरा घिर घिर आए, सावन की ऋतु क्या लाए, मेघों की बारिश आए, तब मुझे तेरी याद सताए
(२)
कोयल कूँ–कूँ करके, देखो काक को अपने बुलाए,
मैं किस विधि समझाऊं मन को , मैं किस विधि समझाऊं मन को।
समझ न कछु मेरे आए, कि बदरा घिर घिर आए, सावन की ऋतु क्या लाए, मुझे तेरी याद सताए
लेख– नाथूराम जैन ( नानू)-
जीना चाहा तो जिंदगी से दूर है हम,
मरना चाहा तो जीने को मजबूर है हम,
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा मैंने
बस इतना बता कि मेरा कसूर है क्या ।
लेख– नाथूराम जैन (नानू)
-
आपसे रोज मिलने को दिल चाहता है,
कुछ सुनने सुनने को दिल चाहता है।
आपके मनाने का अंदाज कुछ ऐसा है,
कि फिर रूठ जाने को दिल चाहता है।।
By–Nathuram Jain (Naanu)-
कि मैं तुमसे खफा हो जाऊं,
पर क्या वजह थी तुम्हारे पास ।
जो मुझे तन्हा छोड़ गई ।।-