तपते सेहरा में सैलाब आए, मुश्किल है
उसकी आंखों में मेरा ख्वाब आए ,मुश्किल है
बांध के भेज दिए है ख़त कबूतर से मैने
पर यार उसका कोई जवाब आए, मुश्किल है-
बना दे मेरे और दुनिया के दरमियां दीवार कोई
चहिए रहगुजर मुझे मेरे ही जैसा बेकरार कोई
मैं इरादतन बातों को समझने में देर कर देता हूं
जब हो समझाने वाला तुम सा समझदार कोई-
तीर से भी गहरा निशान कर देता है
तुझसे बिछड़ने का खयाल,परेशान कर देता है
ख्वाबों में तेरे बाहों की पनाह मिल जाती है
उजाला नींद से जगा कर हैरान कर देता है-
एक कोने में खड़ा बस सोच रहा हूं,
उस पल के बारे में जब तू जुदा हुआ था।-
कुछ इस तरह से ये हिज़्र गुज़ारा है हमने
मुसलसल सिर्फ तुम्हें ही पुकारा है हमने
इक लम्हा भी तुम बिन ना गवारा था हमे
देखो तुम बिन एक अरसा गुज़ारा है हमने-
लोग कहते है शेर बहुत गहरा पढ़ा है मैंने,
हर्फ़ नहीं पढ़े किसी का चहरा पढ़ा है मैंने।-
मेरी हर गज़ल तेरी यादों की निशानी होती है
तेरे नाम कि रेखा जब हाथों पर बनानी होती है
तेरे नाम से ये कलम आप ही चलने लगती है
जब इसे कागज को तेरी कहानी सुनानी होती है-
हमें जिस दिन भी हो जाएगी मोहब्बत
चैन ओ सुकून सब ले जाएगी मोहब्बत
मेरा मोहब्बत से बचते रहना भी लाजमी है
पर होनी होगी तो एक दिन हो जाएगी मोहब्बत-
तेरे बाद तुझ सा कोई दोबारा ना मिला
आईने में अक्स हमें फिर हमारा ना मिला
इस मुसाफ़िर की कश्ती भंवर में ही उलझी रही
तैर के देख लिया पूरा दरिया पर किनारा ना मिला-