अब एक तरफ़ा प्यार ओर नही होता
काँच का दिल पत्थर की तरह कमजोर नहीं होता
बता तो दे अपने दिल क्या बयान
क्या तुम्हारे दिल में हमारे लिये कोई शोर नहीं होता-
मैं हसकर कहता हूँ तू जानकर भी क्या कर पाया
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आख़ें मेरी तरसे तेरे दीदार को
हम को भी तो देख, उस नज़र से एक बार तो
इतना अच्छा लगता हूँ, तो हम को भी प्यार दो
तुझे खोने का ना डर होता तो कहता
अपने मन से मुझे भी उतार दो।-
देखा तो तुम्हें सब ने होगा
पर मैंने तुम्हे दिल में बसाया
चाहा तो तुम्हें सब ने होगा
पर तेरे लिए मैंने ख़ुद को भुलाया।-
मैं कब से बेज़ुबान हो गया हूँ
दिल में तेरी चाहत और
तेरा नाम लेते लेते कहीं खो गया हूँ।
अब कुछ भी करने का मन नहीं करता
तुम्हारी आखों के मायाजाल से निकलने का यत्न तक नहीं करता।
कैसे उलझन से ख़ुद को बचाऊँगा
तुम मेरी हो जाओ या मैं तेरा हो जाऊँगा।
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आया हूँ बाबा तेरे द्वार पे
दुनिया वाले सारे बोझ उतार लें
बिखरा हुआ चाहे तेरा अंश ही हूँ मैं
अपने नाम के सागर में उतार ले।
बनारस में वो रस है
चिंता मुक़्त हो जाता
जो जीवन अस्त व्यस्त है।
बनारस के पान की अलग मिठास है
भक्ति का नशा ऐसा
जिसकी कभी ना बूझती प्यास है।
मौत के बाद शरीर हो जाता भसम है
जीवन के बाद मरण की भी एक रस्म है
झूठ को सच बनाने के लिए लगती रब्ब की क़सम है।
माना भक्त के वश में था भगवान
VIP पंक्ति से भी ढूँढा फिर भी ना मिला भगवान
Mobile जो बना था रिश्ते जोड़ने के लिए
कहीं उसी में खो गया इंसान।-
कितने मन में राज़ छिपाए है
दूसरों का लग ना जाए बुरा
इस हंसी के पीछे आंसू छिपाये है।
लड़का है दो वक़्त की रोटी तो कमाएगा ही
ख़ुद के शौंक मार कर
अपनी तनख़्वाह से घर बनाएगा ।
दहेज तो पुरानी बातें है
आजकल लड़के पहले CTC में तोले जाते है
अल्फ़ाज़ बहुत है कहने को
पर मिलकर फिर किसी दिन बताते है।-
हर जगह दोहरे मापदंड है
कहते हमारी सेना में तू ही प्रचंड है
इनाम तो क्या देना,
जिसमें कोई गलती नहीं उस पर भी देते दंड है।
मानता हूँ कि अभी बहुत सीखना बाक़ी है
सीखने भी नहीं देते यहाँ,
कहते है काफी है।
२ दिन कुछ सीखने से
इनके लाखों के नुक़सान की झांकी है ।-
यहाँ सब के दिल टूटे है
वहाँ तक फिर भी ठीक था
पर कैसे लगाए उनसे दिल
जो जिस्मों से भी जूठे है।
किसने सोचा प्यार का ऐसा भी जमाना होगा
जिस्म का नंगा नाच भी दिखाना होगा
क्या होती ये शर्म उसको भूल जाना होगा
रूह तभी मेरी तेरी होगी
अगर मेरा जिस्म तुम्हारे जिस्म का दीवाना होगा।-
मत देना अपने आप को दोष
मेरा आपसे दूर जाने का।
नियती ने कुछ सोचा होगा
हमें किसी ओर से मिलाने का।
कितने बिताए पल साथ में ख़ूबसूरत
वो सोच के हमेशा मुस्कुराने का।
पाप तो नहीं होंगे ख़त्म
पर अब जन्नून है, ख़ुद को मिटाने का।
वक़्त मिले तो कर लेना याद
माना अलग नशा है इस ज़माने का।-
शायरी शायरी में
कितने दिल के राज़ कह गया।
ना हुई हिम्मत कभी तो
सब मज़ाक़ कह गया।
टूट ना जाए, कहीं ये दोस्ती भी
इसलिये बताना भी एक ख़्वाब रह गया।
कब से देख ही रहा था तुम्हें
इतने में मेरा ख़िताब कोई और ले गया।-