Himanshu  
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Joined 22 June 2017


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1 JUN 2020 AT 21:46

शहर में इमारतें हैं, इमारतों में दरार क्यूं ??
कोतवाली अगर बंद है, फिर तवायफें फरार क्यूं ??

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6 MAY 2020 AT 1:09

बीत गया फिर दिन, फिर एक शाम मुकम्मल हो गई
अपनों का इंतज़ार है, कुदरत पर तवज्जो कैसा??

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27 MAY 2020 AT 16:45

मेरी कीमत की परख बहुत अंधों के बाज़ार में,
आंख वाले भला लाठी की अहमियत क्या समझेंगे??

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21 MAY 2020 AT 11:42

वो जो नहीं पूछते अजा तुम्हें,
तुमने बेवक्त पहेलियां बोली होंगी ।।
रोशनी खुद रहम नहीं करती,
तुमने आंखें भी तो खोली होंगी ।।

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11 MAY 2020 AT 10:34

सिमट गई फिर शाम खतों में,
लिखते लिखते रात हो गई
बिन कहे सुने वक़्त व्यतीत हो गया
कुछ ज़्यादा लंबी बात हो गई

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26 APR 2020 AT 0:20

होंगी रोशनी की चंद नज़्में, अंधेरों का पूरा मुशायरा होगा।।
सूर्य होगा तो बेशक चुप रहेंगे, चांदों पर, पर बेबस दायरा होगा।।

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29 FEB 2020 AT 11:29

जहां बैठना था रोने को
वहां चुपचाप खड़ा हो गया
कभी होना तो नहीं चाहता था मां
पर देखो, मैं बड़ा हो गया

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12 FEB 2020 AT 22:37

थोड़ा suffer से ही सही, सफर तो है
मन में थोड़ा "डर" ही सही, हमसफ़र तो है
अंदेशा है मुझे गुम हो जाने का कहीं
चांदनी रात में मगर रोशन, ये सहर तो है

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10 FEB 2020 AT 18:12

कर्म और धर्म में अंतर होता क्या??
बोल पड़ा कोई तो महफ़िल में!!
समझा मैं तब, उस दिन जल्लाद खड़ा था
क्यूँ, शिव जी के मंदिर में।।

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9 FEB 2020 AT 8:20

इसी मिट्टी से पैदा हुआ, इसी मिट्टी पर अस्त है ।।
बटोरें शेखियाँ झूठी मगर, फैला हुआ वर्चस्व है।।

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