"भोजपुरी बोलऽ"
(पूरा कविता कैप्शन में बा)-
रोज़ नए ठिकाने ढूंढता था।
वो हवा में आशियाने ढूंढता था।
हम कमबख्त घोंसला सजाते रहे,
वो तो उड़ने के बहाने ढूंढता था।।-
जिस देश में बंगाली, कन्नड, तमिल, तेलुगु और बाकी सारी भाषाओं का दुश्मन अंग्रेजी को नहीं बल्कि हिन्दी को माना जाता है,
हिंदी और नॉन हिन्दी की ओछी राजनीति की जाती है,
उस देश को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!-
कोई हमें भी बतलाए की ऐसे दीवाने
कहां रहते हैं!
जो अपनी मिट्टी को मिट्टी नहीं कहते,
मां कहते हैं!!-
उन बहनों का क्या बखान करूं,
जिनकी रक्षा के लिए शायद हम स्वयं भी काफी नहीं,
पर हमारी रक्षा के लिए उनके हाथ से बंधा एक धागा ही काफी है।
सारी बहनों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाए ❤️-
मणिपुर की स्वर्ण मणि, रण पर की अग्रिम चढ़ाई री।
मिट्टी को बोझ के तले दबा कर, मिट्टी का बोझ उठाई री।
प्रथम श्रृंगार मात् का उसने देखो अबकी बार किया,
बेटी री भारत की बेटी " चानू मीराबाई " री।।-
कलम काफ़ी नहीं कागज़ भिगोने को,
स्याही अक्सर रास्ते बदल लेती है.-
कपार पे छत ना रही, त खेत खलिहान का करम?
बात के कीमत ना रही, त ई जबान का करम?
जिनगी लंबा जिए के सऽवख नईखे हमरा,
ना रही हिंदुस्तान, त ई जान का करम?
#भोजपुरी-