ये जिंदगी बिना रुके सफ़र कर रही है,
और हम, ख्वाहिशें लिए वहीं खड़े हैं...
न जाने वो कितने ज़िद्दी हैं ,और हम,
फिर भी उनके दीदार के लिए अड़े हैं...
वो देख के मुंह फेर लेते हैं , और हम,
अब भीअपनी उम्मीदों के सहारे पड़े हैं...
वो जान बूझकर नहीं टकराते हमसे,
और हम, जानते हुए भी वहीं खड़े हैं...
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