"नटखट सा कान्हा,माखन का दीवाना यारों का यार है,राधा का प्यार है मैया का संसार है,बांसुरी से प्रेम अपार है मुश्किल में राह है,मीरा की चाह है कण कण में बसता,वो हर जगह है"
बेजुबान हैं, पर 'अपने' ये ही कहलाते हैं ग़म में हमारे रोते ,खुशी में मुस्कुराते हैं बातें करते आंखो से, हंसकर पूंछ हिलाते हैं नींद इन्हें जब आती है तो ,कहीं भी ये सो जाते हैं।