Himansh Arya   ('शायर')
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Joined 16 August 2018


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27 JUN 2022 AT 21:21

तसव्वुर ही काफी है बहकाने को,
दीदार का सितम क्या ही होगा हज़ूर।

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12 JUN 2022 AT 22:30

बरखा बरस के दिखा गई,
'गर्मी' किसी कि कैसी भी क्यूँ न हो,
एक दिन खत्म हो ही जाती है। 😄😉

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28 DEC 2021 AT 4:41

गुमनाम हो गए जाने कहाँ अल्फाज़ सारे,
बयाँ करते थे, जो गुफ्तगु नज्मो से,
फुर्सत के पल धागों से उलझे हैं काम में सारे,
सिरहाने की गोद में आ, पूछते हैं सवाल ये ख्वाबों से।

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11 AUG 2021 AT 7:08

शमां में है शोर बहोत, जहन में इक खामोशी है,
जिक्र में यूँ तो शमां रहता है, मशगूल 'शायर' खामोशी में रहता है।

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11 AUG 2021 AT 6:31

सफ़र की इब्तेदा, मंजिल को इंतेहा होनी थी,
कोई निकलते दर से ही रूबरू इंतेहा हो लिए,
कोई 'शायर' चले ही जा रहे हैं, वक़्त-ए-मुसाफिर हो लिए।

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27 JUN 2021 AT 22:25

Desires are awakening again ,
Sleep has done enough rest,
Continue again from where it remain,
Chase the missing by taking step towards the next.

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13 APR 2021 AT 4:14

बन्देया ढूंढे सर्व विधमान भगवान को,
तक रहो भगवान भी है कहाँ इंसानियत पुरो इंसान।

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26 FEB 2021 AT 7:05

चाँद चौहदवीं का आस्मा में निखर आया था,
मेह्ताब शायर का गुमसुम था के रात नज़र भी न आया था।

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13 FEB 2021 AT 5:43

लबों से निकला हर लफ्ज़ जो नाम कह जाता है,
महसूस करना धड़कनों को आपकी वो चूम जाता है,
माथे को छू जाते हैं लब जो 'शायर' के महसूस करना ऐ 'गज़ल' इश्क़ अपना वो फिक्र में जताता है।

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12 FEB 2021 AT 5:11

भरना है बाहों में सीने से तुम भी सर लगाना,
आवाज़ दिल से 'गजल' ही आएगी, सुन तुम न शरमाना,
जवाब आवाज का यूँ दे जाना 'शायर' से थोड़ा और लिपट जाना।

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