तेरा हाथ थाम कर यूँ आना,,
खुशी के मारे कुछ ना कह पाना,,
लगना गले इस कदर आके जैसे सदियों से जगी कोई रात लगती है,,
कुछ तो इश्क़ का मसला लगता है जनाब, कुछ पहली मुलाकात लगती है॥ 💕॥ रात गुजरती जाए इस ख्याल से उसे देखूँ या प्यार करूँ या सुनूँ सकुन से जितनी प्यारी उसकी हर बात लगती है,
कुछ तो इश्क़ का मसला लगता है जनाब, कुछ पहली मुलाकात लगती है॥ 💕॥
सुकून से बाहों में बैठाकर
उसके चेहरे पर से हसी जुल्फों को हटाकर, प्यार से यूँ प्यार करना प्यार में प्यारी सी कोई मिठा़स लगती है,
कुछ तो इश्क़ का मसला लगता है जनाब कुछ पहली मुलाकात लगती है॥ 💕॥
रख कर सिर उसके सीने पर उसकी धड़कनों को सुनना,
तारों की छावं में फिर उस संग अपना एक आशियां बुनना, होना उसका रुबरु जो ख्वाबों में शामिल हैं थोड़ी ना कोई छोटी बात लगती है,,,,
कुछ तो इश्क़ का मसला लगता है जनाब कुछ पहली मुलाकात लगती है॥ 💕॥
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भटकता रहा हूँ यूँ ही मुसाफिर -सा मैं राह में,,,
एक नज़र तुझे देखने की चाह में,,,
कभी बैठे पास मेरे तो इतमिनान से बताओ तुझे,
किस हद तक तेरा इंतज़ार करता हूँ,,,,
हर आती-जाती सांस में, तेरा अहसास जरूरी है,, मैं अपनी आखिरी सांस तक तुझसे प्यार करता हूँ॥॥
और हर इतंजार वाजिब है मुझे,
बस तू मेरे होने का वादा कर, तेरे लिए ही जीता हूँ,
तुझपे ही यार मरता हूँ,,
आती- जाती सासं में तेरा अहसास जरूरी है,
मैं अपनी आखिरी सांस तक तुझसे प्यार करता हूँ॥॥
तू क्या जाने कैसे दूरियाँ बर्दाश्त करता हूँ मैं,
ताउम्र तुझे पास रखने की ख्वाहिश में,
बस इस जहाँ में एक तुझे खोने से यार डरता हूँ,,
हर आती- जाती सांस में, तेरा अहसास जरुरी है,,
मैं अपनी आखिरी सांस तक तुझसे प्यार करता हूँ॥ 💕💕
- #Himani sharma
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एक दौर जिदंगी का बड़ा अजीब आया
ना समझा तू मुझे ना ही मैं समझ पाया॥😔॥
हजारों शिकायतें तुझे मुझसे थी, हजार गिले तुझसे ही कहाँ मैं कह पाया,,,
एक दौर जिदंगी का बड़ा अजीब आया
ना समझा तू मुझे ना ही मैं समझ पाया॥॥
वो उम्र का फासला कहूँ या नासमझी सी फितरत कोई जो ना तू जान पाया ना मैं जान पाया,,,
एक दौर जिदंगी का बड़ा अजीब आया
ना समझा तू मुझे ना ही मैं समझ पाया॥॥
लाख शिकवे तुझे मुझसे मुझे तुझसे छोड़ने का ख्याल मगर एक मरतबा भी ना तुझे आया ना मुझे आया
रिश्ते भी बडे़ अनसुलझे निकले जिनमें उलझा तू,
सुलझा मैं भी कहाँ पाया,,,
एक दौर जिदंगी का बड़ा अजीब आया
ना समझा तू मुझे ना ही मैं समझ पाया॥😔॥
- #Himani sharma-
मुक़ाबिल हो अब दीदार तेरा मुहिब़ चाहता है,
इख़्तिलाफ़-ए-नज़र एक तेरी ही हर जगह,,,, 💕
दरयाफ़्त मेरी उन गुज़रगाह तक जहाँ हासिल फ़त्ह॥॥
मुक़ाबिल हो अब दीदार तेरा मुहिब़ चाहता है, इख़्तिलाफ़-ए-नज़र एक तेरी ही हर जगह ,,,,,
इबारत हो कोई भी जिक्र तेरा लाजमी, तुझ बिन ए-हमनशी सब बेवज़ह,,
दरयाफ़्त मेरी उन गुज़रगाह तक जहाँ हासिल फ़त्ह॥💕॥
बाबस्त हो जाता हूँ हर दैर, तुझे पाने की हसरत में
फरो़ग जिदंगी का एक तू ही मुक़ा,,,,
मुका़बिल हो अब दीदार तेरा मुहिब़ चाहता है, इख़्तिलाफ़-ए-नज़र एक तेरी ही हर जगह ,
दरयाफ़्त मेरी उन गुज़रगाह तक जहाँ हासिल फ़त्ह॥ 💕॥- #Himani sharma
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देखती रहूँ तुझे इतमिनान से जमाने की परवाह किये बगैर, अब तुझसे ये हक़ चाहती हूँ,,,
तेरे साथ शुरू हो मेरी हर सुबहा हर शाम एक ऐसा वक़्त चाहती हूँ,,,
देखती रहूँ इतमिनान से जमाने की परवाह किए बगैर, अब तुझसे ये हक़ चाहती हूँ॥💕॥
और मिलकर भी हर मुलाकात कुछ अधूरी-सी लगती है,
हो ना पाए रुकसत मिलकर कभी, एक ऐसी ताउम्र मुक्कमल मुलाकात चाहती हूँ,,,,
देखती रहूँ तुझे इतमिनान से जमाने की परवाह किए बगैर, अब तुझसे ये हक चाहती हूँ॥💕॥-
हर आती-जाती सांसों में मेरी,
तेरी मौजूदगी शामिल हैं, अब तुझसे जिंदगी कहूँ या तू ही जिंदगी मेरी,,,,,
मिलता एक सुकून ऐसा जैसे हूँ खुदा की इबादत में,
तुम्हारे बाद कोई ना होगा अपना, मैंने अपने गंवा दिए है तुझे पाने की चाहत में॥💕॥
एक आशियां साथ तेरे हसरत मेरी, जिंऊ मैं तो साथ तेरा हो वरना रखा क्या है फिजूल जिंदा रहें जाने में,
एक तेरे होने से ही हूँ बस में राहत में,,,,
तुम्हारे बाद कोई ना होगा अपना, मैंने अपने गंवा दिए है तुझे पाने की चाहत में॥💕॥-
मेरे हंसने-रोने में शामिल हैं एक 'वो', दुनिया मेरी संग तेरे ही खुबसूरत है,,,,
चन्द लम्हों के फासले दे रहे गवाही, मुझे खुद से ज्यादा तेरी जरूरत है॥💕॥
तुझे ना सुनूं तो बैचेन रहा करती हूँ मैं, मेरे दिल को मिलता सुकून जो देख ले ये तेरी सूरत है,,,,
चन्द लम्हों के फासले दे रहे गवाही, मुझे खुद से ज्यादा तेरी जरूरत है॥💕॥
हजार शख़्स पास हो मेरे तब भी तन्हा रहा करती हूँ मैं तुझ बिन, जिस रहा तुम मिलो बस सफर एक वही खुबसूरत है,,,,
चन्द लम्हों के फासले दे रहे गवाही, मुझे खुद से ज्यादा तेरी जरूरत है॥💕॥-
एहतिराम, मुकद्दस, जाने-ए-अदा आसना मेरा, 💕,
नफ़स भी दे रही गवाही तेरे सिवा ना कोई मेरा,,
शगुफ़्ता रहा करता हूँ मैं अफ्सु़र्दा-ए-मौसम में भी आजकल, दिखने लगा है लहज़े में भी मेरे असर एक तेरी शोब़त का,,,,,,
एहतिराम, मुकद्दस, जाने-ए-अदा आसना मेरा॥💕॥
मुक्त़जा खुदा की ख्वाबिदा़ शामिल है हकीकत-ए-जिदंगी में मेरी उनस बनकर, सुबूत क्या इससे ज्यादा मेरे मौला तेरी इनायत का,,,,,
एहतिराम, मुकद्दस, जाने-ए-अदा आसना मेरा💕॥
कुरबत में तेरी सुकून पासबान- सा, मेरे हिस्से आया हो नूर जैसे आफताब का,,
एहतिराम, मुकद्दस, जाने-ए-अदा आसना मेरा॥💕॥
- #Himani Sharma-
अधूरें है हम तेरे बिना, मुक्कमल किस्सा जिदंगी का मेरी तू ,,,,
बेइंतहा मौहब्बत लफ़्ज़ों में कर ना पाऊँ बंया, चाहे कोशिशें कितनी दफा भी मैं करु,,,,,,,
अधूरें है हम तेरे बिना, मुक्कमल किस्सा जिंदगी का मेरी तू॥💕॥
सब कुछ फिजूल है जो तुम नहीं, मुझे सबसे ज़्यादा ज़रूरी यार तू, एक तू ही राहत मेरी बैचेनियों में, तेरी मुस्कुराहटें मेरे दिल का सुकूँ,,,,,
अधूरें है हम तेरे बिना, मुक्कमल किस्सा जिदंगी का मेरी तू॥💕॥
तेरी रुह से इश्क़ है इस जिस्मानी दौर में, रहूँ बस एक तेरा हो के मैं जब तलक़ भी ये सासें लू ,,,,- # Himani Sharma
अधूरें है हम तेरे बिना, मुक्कमल किस्सा जिंदगी का मेरी तू॥💕॥
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बस एक 'वो' करीब जिसके रहकर मैं खुद को पा जाता हूँ ,भुलकर जिदंगी की उलझनें सुकून से मुस्कुराता हूँ,,,
ए-लम्हें ठ़हर जाया कर इतमिनान से जब आस-पास मेरे वो रहे, बाकि वक़्त तो रोज ही उसकी यादों में बिताता हूँ,,,
बस एक 'वो' करीब जिसके रहकर मैं खुद को पा जाता हूँ॥💕॥
महसूस करता है मेरे ख्वाब को हुबहू मेरी तरहा, करता है बातें इतनी सजींदगी से, जितना खुद को भी मैं कहा समझा पाता हूँ,,,,
बस एक 'वो' करीब जिसके रहकर मैं खुद को पा जाता हूँ॥💕॥
- #Himani Sharma
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