थी एक लड़की मासूम सी नाज़ुक सी,
करती सबके दिलों में राज,
रहती खुश सबके साथ,
बतलाती नहीं हाल ए दिल का राज,
रातों से करती यारी,
अंधेरो में रोया करती,
टुटने का ना शोर मचाती ,
ना दिखाती टुटने का दर्द,
हुई बड़ी,
बनी समझदार,
करती यारी सबसे,
ना करती भरोसा किसी पर,
सच जाना जब दुनिया का,
पाया सातों रंगो का शहर,
संभाला खुदको,
ना फसी इस दुनिया की कश्मकश में,
चाहा जब किसी का साथ,
पाया खुद को अकेला वहा,
चाहा जब किसी का प्यार ,
ना मिला कोई अपना सा,
कहानी थी एक लड़की,
ना जाने कहा गूम है किसी की कहानी में!!
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