Himani Pant   (हिमानी पन्त ✍)
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यादों की कैद में गिरफ्तार हो गया दिल....

Born on 27 sep
Joined 30 July 2017


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यादों की कैद में गिरफ्तार हो गया दिल....

Born on 27 sep
Joined 30 July 2017
7 OCT 2021 AT 10:23

जग को जन्म देने वाली
कभी दुर्गा तो कभी काली।

आरंभ भी जिससे, अंत भी जो
धरती भी जिससे, ब्रह्मांड भी जो
वही रचियता ,वही विनाशनी
अग्नि भी वो ,नीर भी वो
कालचक्र की अवधि भी वो
सृष्टि का सरोकार भी वो
शिव की अर्धांगिनी भी वो
सुहागन का श्रृंगार भी वो ।
नौ रूपों में अवतरित ,जगत जननी भी वो
जगत जननी भी वो।।

नारी तेरी शक्ति है वो
तेरे तो कण-कण में समाई है वो
ए नारी रह तू दुर्गा
पर हो दानव चंड मुंड जैसा
तो बन काली कर उसका अंत
कर उसका अंत।।

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1 OCT 2021 AT 11:25

दिल जिसने मेरा कैद किया
उस जेल के मुजरिम कई है।
मेरी तो वो आखिरी मोहब्बत
पर उसके आशिक़ कई है।
यूं तो मन्नत मेरी भी एक
पर खुदा के पास दुआएं भी कई है।
बेवजह ही खुश रहो दोस्तो
जमाने में दुःख दर्द कई है।

मंजिल, मुकाम सब वक्त का खेल
पर राहों में कांटे बिछाने वाले कई है।।

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1 OCT 2021 AT 10:15

जवाब की उम्मीद में फिर
एक सवाल, दे गया।
गिरा हुआ हौंसला फिर
किस्मत के सामने ,मात खा गया।
जलती हुई आगें कई हैं यहां फिर
इस बार हालात अपना, धुआं दे गया।
माना कि घायल बहुत हूं मैं फिर
एक बार दुआ अपनों की ,असर दे गया।।

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29 SEP 2021 AT 19:54



इंतज़ार करे॑ भी किसका
उन्हें तो गैरो के घर में, आशिक़ी अच्छी लगती है।

कैसे देखें कोई ख्वाब ये आंखे
इन्हे तो रात में ,भीगी पलकें ही अच्छी लगती है।

यूं तो दर्द दिए जमाने ने भी कई
पर जख्म कुरदने के लिए , एक याद ही अच्छी लगती है।

इश्क जो था वो अधूरा ही रह गया
वैसे भी कहानी ,अब लोगो को अधूरी ही अच्छी लगती है।

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9 APR 2021 AT 10:27

Some fragment of every story
Has hidden untold veracity...
Throughout and at the close of life
Just that verity is always alive....

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1 JAN 2021 AT 13:30

जीते जी तुम्हारे, यूं तन्हा रहना...
इससे बुरा भी अब, क्या हैं होना?

तारीख़ बदल जाने पर भी..
हाल वहीं पुराना सा रहना।
क्या यही होता है
साल का नया होना?

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16 DEC 2020 AT 12:40

चांद तले वो बर्फीली सीढ़ियों में बैठें
सर्द हवा की शाल ओढ़े।

एक याद मुझ तक आती..
वो पिछले बरस के दिसंबर की तरह।

दो प्याली चाय लिए
उम्मीदों से भरा इंतेज़ार लिए...

फिर मुझको तन्हा कर देती
ये छूटते हुए दिसंबर की तरह ।।

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22 NOV 2020 AT 21:46

क्या खुदा मेरा
इतनी रहमत कर पाएगा..
तमाम लकीरें भरे इन हाथों में
एक नाम
मेरी पसंद का लिख पाएगा।।

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17 NOV 2020 AT 22:15

मोहब्बत अब मुझ में इतनी सी बाकी है...
सिरहाने आए तेरे हर ख्वाब को
करवट बदल सुला देती हूं।

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14 SEP 2020 AT 11:30

स्याही से कर दो मेरी इतनी पहचान
उठे जब भी कलम मेरी...
हिंदी हो मेरा अभिमान।।

हिंदी दिवस की शुभकामनाएं!!

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