इश्क़ हसीन ओ ज़मील है। इश्क़ मुख्लिस है। इश्क़ कोल ऐ क़रार है। इश्क़ ज़ुल्फ़ ऐ बहार है। इश्क़ दरिया ऐ करार है। किसी की महवुबियत कोई बला नहीं कोई मशगला नही इश्क़ पौधा है जो दरख़्त होके हलाबत के फल देता है तलखियत नही महवुबियत में पंछी भी पंछी का साथ देता है बिखरे हुए बदन से भी हौसला बढ़ा देता है