Him Sharma   (Him)
1.7k Followers · 8.2k Following

read more
Joined 3 April 2018


read more
Joined 3 April 2018
15 FEB 2021 AT 14:56

'तोहफ़ा'

बेशक़ महफ़िल में तेरे 'तोहफ़े' का ही ज़िक्र था,,

कौन सी मुस्कराहट,, क्या इसी का तुझे फ़िक्र था?

-


13 FEB 2021 AT 7:05

एक साल।।।। टूटे दीवाने का हाल।।

जीवित था तेरा।।। लाश से कैसा सवाल??


-


17 JAN 2021 AT 23:02

ज़िंदगी को न बना लें, वो सज़ा मेरे बाद!!

हौंसला देना, उन्हें मेरे 'ख़ुदा' मेरे बाद।।।

-


17 JAN 2021 AT 11:54

'खुदगर्ज़ ऑंखें'

क्या ख़ूब उसने कहा, तुम्हें तो सोना पसन्द है!

'खुदगर्ज़ आंखें' न कहा, के बस रोना पसन्द है!!








-


17 JAN 2021 AT 11:34

'किडस्टोरी'

दिन तो ढलता नहीं, ये रात हर रोज़ क्यों चली आती है।

ले जुदा हैं न अब तो रास्ते, नींदों से फिर क्यों जगाती है?

भूल चुका है न तू, वो घण्टों बैठकर ज़माने भर की बेशुमार बातें!

ये कैसी नयी बात है, जो हर रोज़ कहने को रह जाती है।

वादा किया था न, उस मोड़ से पलट के न लौटने का,

ये कैसा रास्ता है, हर मोड़ पे तू ही तू नज़र आती है!!

-


17 JAN 2021 AT 11:16

'दुआ'

है तू जो अब नहीं, जीने में ख़ाक मज़ा है?

हाँ 'सुकूं' तेरी हर याद, बाक़ी सब तो सज़ा है!

एक फितरते एहसान, इश्क़ को किया जो क़ुर्बान,

ले ज़िन्दगी मेरी बर्बाद, कर इतनी सी 'दुआ' है।।


-


17 JAN 2021 AT 11:00

चाहत एक ही, तू
आहट एक ही, तू
राहत एक ही, तू
ख़िलाफ़त एक ही, तू।।

-


3 JAN 2021 AT 23:07


काश।

ज़िंदा लाश।

बदहवास।

-


1 JAN 2021 AT 16:35

एक सोच के समंदर में डूब गया था,
जंहा दूर कभी मेरा महबूब गया था।

कोई बार बार यूँ झकझोर रहा था,
आवाज़ नहीं थी बस शोर रहा था।

उमीदों का बोझ, वो छोड़ गया था,
कोई कैसे पूरा करता, दिल तोड़ गया था।

-


28 DEC 2020 AT 22:54

काश ये ज़िन्दगी,

नींद में ही कट जाती,

बेशुमार जीवन की बदलियां,

इशारे भर से हट जातीं।

-


Fetching Him Sharma Quotes