सिर्फ दाग़ अच्छे नहीं होते, कुछ कंफ्यूजन भी, अच्छे होते हैं, वो बहाना बनते हैं, "सब्र का", उम्र भर! -
सिर्फ दाग़ अच्छे नहीं होते, कुछ कंफ्यूजन भी, अच्छे होते हैं, वो बहाना बनते हैं, "सब्र का", उम्र भर!
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दीवारें चार हैं, कान चार हज़ार, साथ खिलखिलाती भी हैं, और संग सिसकती भी! -
दीवारें चार हैं, कान चार हज़ार, साथ खिलखिलाती भी हैं, और संग सिसकती भी!
Between the Goodbye,Sorry and It's ok, There is a silence, that shouts! Just Ignore it! -
Between the Goodbye,Sorry and It's ok, There is a silence, that shouts! Just Ignore it!
हाथ पकड़े रखना था, और बात छोड़नी थी,बात पकड़े रक्खी तुमने, और हाथ छोड़ दिया।" भूल जाने का हुनर...." -
हाथ पकड़े रखना था, और बात छोड़नी थी,बात पकड़े रक्खी तुमने, और हाथ छोड़ दिया।" भूल जाने का हुनर...."
लाड जी भर के किया, मुझको मेरे माँ-बाप ने, हमेशा पलकों पे रक्खा, और अपाहिज कर दियाकाँटों का चुभना भी, खँजर सा लगता है, जाति से क्षत्रिय हूँ, मगर मखमल में पला हूँ।" Parental Overlove Kills " -
लाड जी भर के किया, मुझको मेरे माँ-बाप ने, हमेशा पलकों पे रक्खा, और अपाहिज कर दियाकाँटों का चुभना भी, खँजर सा लगता है, जाति से क्षत्रिय हूँ, मगर मखमल में पला हूँ।" Parental Overlove Kills "
इल्ज़ाम किसके सिर रक्खूँ, तेरे बेरूखे रवैए का, चाबियाँ सौंपी थी जिसको, उसी ने घर जलाया है। -
इल्ज़ाम किसके सिर रक्खूँ, तेरे बेरूखे रवैए का, चाबियाँ सौंपी थी जिसको, उसी ने घर जलाया है।
जिसकी शकल से नफरत हो, उसकी अकल पे तोहमत है, मेरा रंग जो निखरा है, मेरे यार की सोहबत है। -
जिसकी शकल से नफरत हो, उसकी अकल पे तोहमत है, मेरा रंग जो निखरा है, मेरे यार की सोहबत है।
जब करनी पड़े जद्दोजहद,अपनी चीज़ सेउसे अपनाने के लिए, तो सच मानो,वो चीज़ अब तुम्हारी है ही नहीं । -
जब करनी पड़े जद्दोजहद,अपनी चीज़ सेउसे अपनाने के लिए, तो सच मानो,वो चीज़ अब तुम्हारी है ही नहीं ।
अंगूठी, ताबीज़ जो डाले तुमने, फ़ासले हमसे बढ़ाने को,कर गए काम, कह दो जाकर, इनको पहनाने वाले को, जो थी चाहत तेरी भी, रब को वो मंजूर हुआ, अंदर था जो, रूह में शामिल, कोसों कोसों दूर हुआ,खयाल रहे पर, आँख में तेरी आँसू कभी न शामिल हो, जुड़े जो तुझसे, उमर को तेरी, मुझसे गुना कई काबिल हो। -
अंगूठी, ताबीज़ जो डाले तुमने, फ़ासले हमसे बढ़ाने को,कर गए काम, कह दो जाकर, इनको पहनाने वाले को, जो थी चाहत तेरी भी, रब को वो मंजूर हुआ, अंदर था जो, रूह में शामिल, कोसों कोसों दूर हुआ,खयाल रहे पर, आँख में तेरी आँसू कभी न शामिल हो, जुड़े जो तुझसे, उमर को तेरी, मुझसे गुना कई काबिल हो।
तमीज़ पहचान थी जिनकी, वो बद-तमीज़ हो गए, रूह मिल्कियत थी जिनकी, वो ज़ेहनी गरीब हो गए, अब तो उनके लफ़्ज़ों में, टपकता खून रिश्ते का, पलकों पे जो रहते थे, ग़ैर-नसीब हो गए । -
तमीज़ पहचान थी जिनकी, वो बद-तमीज़ हो गए, रूह मिल्कियत थी जिनकी, वो ज़ेहनी गरीब हो गए, अब तो उनके लफ़्ज़ों में, टपकता खून रिश्ते का, पलकों पे जो रहते थे, ग़ैर-नसीब हो गए ।